देहरादून: संसद में हम अपनी नुमाइंदगी के लिए अपने प्रतिनिधियों को भेजते हैं। उत्तराखंड का प्रतिनिधित्व करने के लिए भी संसद के दोनों सदनों में प्रतिनिधि हैं। लेकिन, सवाल यह है कि हमारे प्रतिनिधि हमारा प्रतिनिधित्व संसद में किस तरह से करते हैं? क्या वह हमारे मसले और प्रदेश की चिताओं के सवाल संसद में उठा रहे हैं या नहीं? संसद में कुछ ऐसा ही देखने को मिला, जो काम उत्तराखंड के सांसदों को करना चाहिए था। वह काम कांग्रेस सांसद रंजीत रंजन ने किया।
छत्तीसगढ़ से कांग्रेस सांसद रंजीत रंजन ने केदारनाथ आपदा का मामला उठाया। उन्होंने 2013 की आपदा की बात भी की और हाल के दिनों में केदारनाथ धाम में जो नुकसान हुए हैं, उस पर भी संसद में गंभीर सवाल खड़े किए और चिंता जाहिर की। इसके अलावा उन्होंने ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट को लेकर भी सवाल उठाया।
उन्होंने हिमाचल को लेकर भी चिंता जाहिर की और इस तरफ सरकार का ध्यान आकृष्ट करने की कोशिश की। सांसद रंजीत रंजन ने कहा कि जो भी आपदाएं हैं, यह दैवीय आपदाएं नहीं, बल्कि मैन मेड आपदाएं हैं। इन आपदाओं को अवैज्ञानिक ढंग से किए विकास ने आमंत्रण दिया है।
पेड़ों को काटा जा रहा है और पहाड़ों को छेड़ा जा रहा है। उन्होंने सिलक्यारा टनल की घटना की भी जिक्र किया। देवदार के पेड़ों को काटे जाने पर चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि प्रकृति और हिमाचल का दोहन चिंताजनक है। जोशीमठ में मकानों के धंसने के मामले को उन्होंने संसद में उठाया। कांग्रेस सांसद रंजीत रंजन ने चारधाम परियोजना पर गंभीर सवाल उठाए।
उनका कहना है कि इस परियोजना को पूरा करने के लिए पहाड़ों को अवैज्ञानिक तरीके से काटा गया। पेड़ों को अभी भी काटा जा रहा है। उन्होंने कहा कि गंगोत्री क्षेत्र में भी पेड़ों को काटे जाने का मामला संज्ञान में आया है। यह नहीं होना चाहिए।