लाशों का अंबार•••
गंगा तट पर लगा हुआ है लाशों का अंबार
माँ गंगा के पूत देख ले आकर के एक बार।
अच्छे दिन के वादे करके दुर्दिन दिए दिखाए
रोजी-रोटी छिनी हाय अब कैसे जान बचाए
घड़ियाली तेरे आँसू की नहीं कोई दरकार
माँ गंगा के पूत देख ले आकर के एक बार।
बिन ऑक्सिजन-बेड-दवाई बीमारी विकराल
कितनी मांगें सूनी हो गईं कितने बिछुड़े लाल
छाती पीट के जनता रोती करती करुण पुकार
माँ गंगा के पूत देख ले आकर के एक बार।
जीते जी न मिला हॉस्पिटल न मर कर श्मशान
लकड़ी नहीं मयस्सर मुर्दे पड़े लगा कर लाईन
क्रियाकर्म भी नहीं जानवर नोचें देह हजार
माँ गंगा के पूत देख ले आकर के एक बार।
तेरे अश्वमेध के चलते मोहरे बन गए लोग
सत्ता का लालच ले डूबा देश में फैला रोग
तेरे जुमलों पर हमको अब नहीं कोई एतबार
माँ गंगा के पूत देख ले आकर के एक बार।
मंत्री नँगा राजा नँगा मन की बात करे बेढंगा
सब्र रखो, धीरज रक्खो कहते हैं बिल्ला-रँगा
जिम्मेदारी थी जिन पर वो ही निकले मक्कार
माँ गंगा के पूत देख ले आकर के एक बार।
-वीरेश कुमार सिंह
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