ऋचा गौतम की कविताएं

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ऋचा गौतम की कविताएं
गाँव का पुराना घर
बाट जोहता है किसी अपने का।।
पिछली बारिश में चू रही थी छत
इस बारिश आँगन के दीवार में आ गई है दरार
कभी छोटी-सी छत पर बारी-बारी
सारे अनाज सुखा लेती थी माँ,
अब वहाँ उगते हैं, सूखते हैं, झरते हैं सालों भर
खर-पतवार।।

फिलिस्तीन

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बच्चों की डबडबाई आँखों मेंजिंदा रहने के ख्वाबों का कत्ल करने वालेये मजहब और हथियारइक रोज पूरी दुनिया निगल जाएंगे।वे सैनिकखुद पर फभ करने लायक […]

समाज!

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समाज! न आपकी कामयाबी परहमेशा ताली पीटता हैऔरन ही, आपकी मुफ़लिसी परहमेशा सहानुभूति प्रकट करता है••• समाज!आपका मखौल,बेरोकटोक हमेशा उड़ा सकता हैबहुत सतत और निर्मम […]