मंडल,कमंडल,किसान, बाजार और दक्षिण भारत
भारत रत्न सम्मान के लिए कोई धनराशि नहीं दी जाती। किसी क्षेत्र में विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्र का यह सर्वोच्च सम्मान है। इस बार लोकसभा चुनाव से ठीक पहले पांच व्यक्तियों को भारत रत्न घोषित किया गया है, जिसके खास मतलब हैं। पांच समीकरण साधे गए तीन किश्तों में सम्मान की घोषणा के साथ। सम्मान पाने वालों में सिर्फ लाल कृष्ण आडवाणी जीवित हैं,बाकी चार को यह सम्मान मरणोपरांत दिया गया।खास बात है कि इनमें दो गैर भाजपाई पूर्व प्रधानमंत्री भी हैं।चौधरी चरण सिंह और मुक्त बाजार की अर्थव्यवस्था शुरू करने वाले कांग्रेसी नरसिम्हा राव। दोनों गांधी परिवार के पसंदीदा नहीं हैं।
जो पांच समीकरण और लक्ष्य साधे गए,वे हैं- मंडल, कमंडल, किसान, बाजार और दक्षिण भारत। जो आगामी लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं।
देश में सबसे पहले ओबीसी आरक्षण लागू करने वाले गैर कांग्रेसी राजनीति के महायोद्धा,बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को उनकी मृत्यु के 36 साल बाद भारत सरकार ने मरणोपरांत भारत रत्न घोषित किया। बिहार के महागठबंधन के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंडल राजनीति के तहत राज्य में ओबीसी की गिनती कराई और आरक्षण का दायरा 75 प्रतिशत कर दिया। नीतीश आगामी लोकसभा चुनाव के लिए विपक्ष के बने इंडिया गठबंधन के भी सूत्रधार थे। उनकी ओर से राम राजनीति की काट मानी जा रही थी ओबीसी की गिनती। कर्पूरी को भारत रत्न की घोषणा होते ही कृष्ण यह हुआ की नीतीश ने पलटी मार दी।इस्तीफा देकर भाजपा के साथ सरकार बना ली और मंडल राजनीति के साथ इंडिया की भी हवा निकाल दी।
अब घर संभालने की बारी थी।आम रामभक्तों और संघ परिवार को संतुष्ट करने के लिए राम राजनीति के भीष्मपितामह, रामरथी, पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी को प्रधानमंत्री ने स्वयं भारत रत्न घोषित कर दिया। मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद हाशिए पर डाल दिए गए थे आडवाणी और रामलला की प्राणप्रतिष्ठा समारोह में भी मुख्य यजमान थे प्रधानमंत्री। आडवाणी को भारत रत्न सम्मान उन्हें फिर रोशनी के घेरे में लाना हो गया।मंडल के साथ कमंडल भी सध गया।
इसके बाद एकसाथ तीन व्यक्तियों को मरणोपरांत भारत रत्न देने की घोषणा खुद प्रधानमंत्री ने कर दी। इनमें दो पूर्व प्रधानमंत्री चरणसिंह और नरसिम्हा राव हैं, गांधी-नेहरू परिवार के राजनीतिक वर्चस्व खत्म करने में जिनकी खास भूमिका रही।
नरसिम्हा राव ने इंदिरा गांधी के विकास का समाजवादी मॉडल को तिलांजलि देकर डॉक्टर मनमोहन सिंह को वित्तमंत्री बनाकर मुक्त बाजार की अर्थव्यवस्था लागू की। निजीकरण,उदारीकरण और ग्लोबीकरण की नीति शुरू की। इससे बाजार के लिए सकारात्मक संदेश देने का लक्ष्य भी हासिल हो गया और कांग्रेस को भी इस फैसले का स्वागत करना पड़ गया।
किसानों के मसीहा चौधरी चरण सिंह और हरित क्रांति के जनक व किसानों को लाभकारी न्यूनतम मूल्य देने की सिफारिश करने वाले वैज्ञानिक एम एस स्वामीनाथन को भारत रत्न घोषित करके नाराज, अंदोलनरत किसानों को यह बता दिया गया कि भाजपा सरकार की प्राथमिकता कृषि है। पश्चिम उत्तर प्रदेश और जाट बहुल राज्यों के किसानों को साधने का समीकरण यह है। चौधरी चरणसिंह के पौत्र जयंत चौधरी ने इस घोषणा के बाद भाजपाई गठबंधन में शामिल होने की घोषणा कर दी।जबकि वे समाजवादी अखिलेश यादव के साथ मिलकर चुनाव लडने वाले थे।
मोदी उत्तर भारत के साथ दक्षिण भारत को भी बराबर महत्व दे रहे हैं। दक्षिण भारत के राव और स्वामीनाथन को एकसाथ भारत रत्न घोषित करके उन्होंने यह संदेश भी दे दिया।
पांच भारत रत्न के साथ पांच समीकरण साध गए।