किसानों और मीडिया को मैनेज करने से दबेगा आंदोलन?

Share this post on:

अगर किसान दिल्ली तक पहुंच गए तो क्या होगा?

केंद्र सरकार को मीडिया और किसानों को मैनेज कर लेने का गुमान है। रणनीति किसानों को हरियाणा बॉर्डर पर ही रोक देने की है। दिल्ली बॉर्डर पर कीलबंदी कर दी गई है। चाकचौबंद इंतजाम है कि किसान अबकी दफा दिल्ली पहुंच ही नहीं सके।

चौधरी चरणसिंह को भारत रत्न देने के बाद उनके पोते चौधरी जयंत के भाजपा के पाले में आ जाने से पश्चिम उत्तर प्रदेश,हरियाणा और राजस्थान में किसानों के एक बड़े हिस्से को तीन साल पहले हुए आंदोलन की अति सक्रियता से रोकने में फिलहाल केंद्र को कामयाबी मिलती दिख रही है। इस बार आंदोलन के नेतृत्व में पंजाब के किसान हैं और आंदोलन से जुड़े संगठन पिछली बार की तुलना में आधे भी नहीं हैं। इससे मोदी सरकार बेफिक्र है सामने लोकसभा चुनाव होने के बावजूद। क्या इस बार किसान आंदोलन को कुचल कर रख देगी सरकार?

हरियाणा में भाजपा की सरकार है। इससे हरियाणा पुलिस और केंद्रीय बालों के इस्तेमाल से पंजाब के किसानों को हरियाणा के बॉर्डर पर रोक लिया गया है।जैसे पिछले आंदोलन में भी हुआ था, केंद्र सरकार किसान नेताओं से बात कर रही है। तब भी किसानों को मांगें नहीं मन रहे थी,अब भी नहीं मान रही।तब भी आंदोलन तोड़ देने के फिराक में थी सरकार,अब भी उसकी मंशा वही है। तब दिल्ली की सरहद की घेराबंदी करके एक साल तीन महीने तक महामारी, सर्दी और गर्मी झेलकर,दर्जनों शहादतें देकर किसान मोर्चे पर जमे रहे।उन्हें सभी समुदायों और सभी वर्गों का सक्रिय समर्थन था। अबकी बार वर्गों और समुदायों के साथ ही किसान संगठनों और किसान नेताओं को भी बांट देने में कामयाबी हासिल कर ली है मोदी सरकार ने। तब विधानसभा चुनावों की फिक्र थी भाजपा को तो तीनों कृषि कानून वापस ले लिए गए।

इस बार किसी कीमत पर किसानों को दिल्ली तक पहुंचने न देने की ठान ली है सरकार ने। इंटरनेट बंद है तो सूचनाओं और खबरों पर जबरदस्त पहरा है।फिलहाल यह रणनीति कामयाब होती दिख रही है। ड्रोन से किसानों पर आंसू गैस के गोले दागे जा रहे हैं।लाठी चार्ज हो रहा है। रबर की गोलियां दागी जा रही हैं। गिरफ्तारियां हो रही हैं। आगे इससे भी ज्यादा सख्ती हो सकती है। लेकिन किसानों ने मोर्चा नहीं छोड़ा है।ड्रोन के मुकाबले पतंग उड़ाए जा रहे हैं। पानी से आंसू गैस को बेअसर करने का जुगाड लगाया जा रहा है।

अगर सरकार ने आंदोलन को लंबा खींचने या आंदोलन को कुचलने की तैयारी कर रखी है तो किसानों ने भी लंबी लड़ाई की तयारी कर ली है। छह महीने के राशन पानी,डीजल और ईंधन के साथ हजारों ट्रैक्टर ट्रालियों को घर बनाकर वे मैदान में डटे हैं और हड़बड़ी में नहीं हैं।

संयुक्त किसान मोर्चा ने आंदोलन के समर्थन में 16 फरवरी को ग्रामीण भारत बंद का आह्वान किया है। इस दिन खेती बाड़ी का कामकाज होगा।जो संगठन आंदोलन में शामिल नहीं हैं, 16 के बाद वे फैसला करेंगे।

भारतीय किसान यूनियन उग्रहा ने इसी बीच 15 फरवरी को पंजाब में आंदोलन के समर्थन में रेल रोको आंदोलन कर दिया। जिस हरियाणा की सरहद पर किसानों पर बल प्रयोग हो रहा है। वहां भी हलचल मची हुई है।इंटरनेट बंद होने और सेंसरशिप के कारण हरियाणा के भीतर क्या हो रहा है,पता नही चल रहा। लेकिन हरियाणा में किसानों के सबसे बड़े संगठन भारतीय किसान यूनियन चूढ़नी ने किसानों की मांगों को जायज बताते हुए दमनकारी कदमों का विरोध किया है तो पगड़ी संभाल जट्टा गुट और दूसरे संगठन,खापें किसानों के समर्थन में लामबंद होने की शुरुआत कर दी।

पंजाब के किसानों को रोक रही है हरियाणा पुलिस,हरियाणा के किसानों को कैसे रोकेगी ?इसके अलावा राजस्थान,उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड से लेकर तमिलनाडु और कर्नाटक के किसानों में हलचल है।

दिल्ली में केंद्र सरकार ने धारा 144 लागू की हुई है।लालकिले में एंट्री बंद है। मेट्रो स्टेशन के गेट बंद किए जा रहे हैं।दिल्ली की पूरी सरहद पर कंटीली तार की बाड़ लगा दी गई है। सीमेंट के बोल्डर के साथ कीलबन्दी की गई है। कंटेनर से मोर्चाबंदी की गई है।सभी सीमाएं सील कर दी गई हैं ताकि किसान दिल्ली में घुस नहीं सके।अगर घुस गए तो?

तीन कृषि कानून वापस लेने के साथ कृषि उपज के न्यूनतम मूल्य की कानूनी गारंटी की मांग पर केंद्र सरकार को फैसला करना था,जो उसने नहीं किया और अब भी टाल मटोल कर रही है। किसान स्वामीनाथन रपट को लागू करने की मांग कर रहे हैं। हरित क्रांति के जनक इन्हीं स्वामीनाथन को किसानों के मसीहा चौधरी चरण सिंह के साथ भारत रत्न घोषित किया है भारत सरकार ने।लेकिन उनकी सिफारिशों को लागू करने से मना कर रही है।यह क्या है? गौरतलब है कि इस वाजिब मांग के समर्थन में सारे किसान और उनके संगठन हैं। दूसरी मांगें भी हैं,जिन्हें सरकार मन सकती हैं। लेकिन न्यूनतम मूल्य की कानूनी गारंटी लिए बिना किसान पीछे हटेंगे नहीं।

जितना लंबा खींचेगा आंदोलन,जितना दम होगा,उससे किसानों का मोर्चा और मजबूत होगा।जैसे भारतीय किसान यूनियन के नेता और पिछले आंदोलन के हीरो राकेश टिकैत ने चेतावनी दी है,किसानों पर जुल्म हुए तो खामोश नहीं बैठेंगे। न किसान हमसे दूर है और न दिल्ली।

पलाश विश्वास

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *