-झुंझलाहट में पत्रकारों को निशाना बनाने से बेहतर होगा, अपनी सरकार का मूल्यांकन करो
-रूपेश कुमार सिंह
संसद अजय भट्ट जी!
आपकी प्रतिष्ठा, ख्याति और छवि इतनी कमजोर है कि एक पत्रकार के चार लाइन लिख देने भर से धूमिल हो गयी? प्रभावित हो गयी? आप अपनी पार्टी और जनता के बीच अपमानित हो गये? कहीं जवाब देते नहीं बन रहा है? आपका पूरा राजनैतिक काम पानी हो गया है? यदि ऐसा है तो पत्रकार के सवालों में जरूर दम होगा। वरना इतना तिलमिलाना किस बात का? आनन-फानन में 469 की कार्यवाही…? खैर! आप सरकार हैं, कुछ भी संभव है।
वैसे एक सवाल मेरा भी है इतनी कमजोर भावना, छद्म ख्याति लेकर आप राजनीति काहे कर रहे हैं? कहीं कुछ भी काम-धाम किया जा सकता था, रानीखेत में बैठकर। राजनीति में शीर्ष पर रहें और आलोचना, आरोप-प्रत्यारोप भी न हो, कैसे संभव है श्रीमान? कभी आप वेश बदलकर आम जनता के बीच जायें, आपको पता चल जायेगा कि नेताओं को लेकर जनता कितनी खिन्न है। गालियां देती है जनता गालियां। फिर चाहे आप किसी भी पार्टी के क्यों न हों।
हकीकत भी यही है कि भारत की सरकारों ने जनता का भरोसा खो दिया है। तो जनता अगर इस सरकार को खारिज कर दे तो, क्या गलत है? और इसी बात को कोई पत्रकार कलमबद्ध कर दे तो, आपकी सारी गोपनीय गोटियां ताश के पत्तों की तरह बिखर जाती हैं, और आप आँख बवूला हो जाते हैं, क्यों? आकाश नागर जी के सवालात पर और अपूर्व जोशी जी के सम्पादन पर यदि आप वास्तव में शर्मसार हैं, पानी-पानी हुए हैं, अपमानित महसूस कर रहे हैं, तो आप सही कर रहे हैं, क्योंकि उनकी बात मनगढ़ंत और कोरी नहीं है। जनता आपकी सरकार से नाखुश है बहुत ज्यादा, यह आपको जान लेना चाहिए। और आपको शर्मसार होना ही चाहिए।
त्रिवेन्द्र रावत जी की पौने चार साल की सरकार उत्तराखण्ड में पूरी तरह फेल रही है और 2022 में औंधे मुँह गिर जाये तो कोई अतिश्योक्ति भी नहीं होनी चाहिए। इस बार मोदी जादू भी काम करने से रहा। आम जनता तो छोड़ों विधायक, मंत्री और भाजपा के नेता भी त्रस्त हैं। कोई सुनने वाला नहीं है। लूट का बाजार गरम है। मैं इस बात को पूरी जिम्मेदारी से कह रहा हूँ और सांसद साहब मैं इस विषय पर आपसे बहस को तैयार हूँ। क्या देंगे आप जनता के सवालों का जवाब?
अब जब देश की सर्वोच्च संस्था की अवमानना का दण्ड एक रुपये मुकर्रर हो गया है, तो अजय भट्ट जी तो इस संस्था के सामने बहुत छोटे ही हैं, एक पैसा दण्ड सपीसेंट होगा। अपूर्व जोशी जी, आकाश नागर जी काहे बात का बतंगड़ बना रखा है? मानवीय आधार पर एक पैसा दण्ड भरो और माननीय सांसद महोदय अजय भट्ट जी की खोई हुई प्रतिष्ठा, ख्याति को ससम्मान वापस लौटा दीजिए। बाकी जनता अपना हिसाब-किताब बराबर कर ही लेगी, आज नहीं तो कल। माना की एक पैसा न ही चलता है और न ही मिलेगा, पर क्या करें देश की सर्वोच्च संस्था से ज्यादा किसी व्यक्ति का मान हो, यह तो किसी भी देश भक्त को अच्छा नहीं लगेगा।
भट्ट जी देखो! हम सब उत्तराखण्डी हैं। अभी आप हमारे यहाँ से सांसद हो। कभी सोचा था आपने कि आप तराई से सांसद बनोंगे? यह तो भला हो मोदी जी का, आप जैसे कितनों की नैया पार लग गयी। कभी आप रानीखेत से विधायक थे, अब करन मेहरा हैं आने वाले समय में दिल्ली के अपूर्व जोशी भी विधायक हो सकते हैं। अरे! भाई हो ही सकते हैं, विधायक, मंत्री, कुछ भी। तो लड़ना काहेका? तालमेल बैठाकर चलो।
सुनो आकाश भैया! अगली दफा जब लिखो तो मुकदमा संगीन होना चाहिए। दो-चार माह जेल जाने वाला। ये टुच्चे मुकदमों से कुछ न होता है। जोशी सर के साथ हमने भी खूब झेले हैं। यह वेलेवल अपराध है। प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट दो मिनट में जमानत दे देंगे।
और सुनो, एक बात कहूँ, ‘‘ज्यादा कुछ तो तब होगा जब अजय भट्ट जी अपनी शिकायत पर टिके रहेंगे।’’ थूक कर चाटने की आदत नेताओं का पहला लक्ष्ण है, इतना तो हर कोई जानता ही है। फिलहाल थोड़े लिखे को बहुत समझना। नहीं तो लम्बा विशेषांक भी निकाल सकता हूँ। अपूर्व सर जी! इधर भाजपा के विधायक, नेता मेरे खिलाफ भी मुकदमा दर्ज कराने की फिराक में हैं, लेकिन उनको मौका नहीं मिल रहा है। देखो, कब तक सफल होते हैं।
-रूपेश कुमार सिंह
स्वतंत्र पत्रकार
9412946162