नेहरू और मोदी एक बराबर, कितना सच

nehru and modi
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एनडीए गठबंधन के मुखिया के तौर पर भाजपा नेता नरेन्द्र मोदी लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ले चुके हैं। 30 कैबिनेट, 5 स्वतंत्र राज्य मंत्री व 36 राज्य मंत्रियों ने भी 18 वीं लोकसभा के लिए शपथ ली है। निश्चित रूप से एक नेता के रूप में नरेन्द्र मोदी के लिए यह एक बड़ी उपलब्धि है। इस पर गर्व भी किया जा सकता है। लेकिन क्या यह एक ऐतिहासिक क्षण भी था? जैसा कि गोदी मीडिया में एक सुर से गाया जा रहा था? क्या वास्तव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जवाहर लाल नेहरू की बराबरी कर चुके हैं या यह महज गोदी मीडिया की अफवाह है जो प्रधानमंत्री के रूप में नरेन्द्र मोदी को महामानव बनाने के लिए फैलाई जा रही है? गोदी मीडिया की यह स्थिति तब है जब भाजपा अपने बलवूते बहुमत तक नहीं ला पाई है और न ही नरेंद्र मोदी का 400 पार का नारा परवान चढ़ा है, यदि ऐसा हो गया होता तो समझो गोदी मीडिया क्या चला रहा होता?
अब तक नरेंद्र मोदी के लिए गोदी मीडिया ने जमीन आसमान एक कर दिया होता। नरेन्द्र मोदी को साक्षात ईश्वर का दूसरा रूप बताकर उन्हें अवतारी पुरूष बना दिया होता। क्या गोदी मीडिया के एंकर इतिहास से बेखबर हैं या आँख मूंद कर सच्चाई को नजरअंदाज करते रहते हैं? मीडिया का गजब मैनेजमेंट तो है ही भाजपा के पास। अगर आपको भी लगता है कि प्रधानमंत्री के रूप में तीसरी बार शपथ लेने के बाद मोदी नेहरू के बराबर आ गये हैं या ऐसा करिश्मा करने वाले वह नेहरू के बाद दूसरे प्रधानमंत्री बन गए हैं, तो जरा इस वीडियों को ध्यान से पूरा देखिए। आपको मालूम चलेगा कि कैसे समाज में मिथक बनाए और स्थापित किए जाते हैं।
चलिए शुरूआत करते हैं भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से। भाजपा सरकार के मुखिया की मानें तो पिछले 10 सालों में हमने हर समस्या के लिए नेहरू को जिम्मेदार पाया है।
अब जबकि तीसरा कार्यकाल शुरू होने जा रहा है तो यहाँ भी नेहरू का ही जिक्र है। लेकिन इस बार बात जिम्मेदारी की नहीं, बल्कि नेहरू के रिकॉर्ड की बराबरी करने की हो रही है। कहा जा रहा है कि प्रधानमंत्री के रूप में नरेन्द्र मोदी की शपथ ने इतिहास रच दिया है। इतिहास का थोड़ा सा भी ज्ञान रखने वालों के लिए यह बात पचा पाना मुश्किल होगा। अगर आप इतिहास में रुचि नहीं रखते हैं तो भी आप गूगल महाराज की मदद से दूध का दूध और पानी का पानी कर सकते हैं। तथ्यों की बात करें तो 2 सितम्बर 1946 को कैबिनेट मिशन की योजना के तहत पंडित नेहरू की अध्यक्षता में सत्ता के हस्तांतरण का कार्य प्रारम्भ कर दिया गया था। तकनीकी रूप से देखा जाए तो 15 अगस्त 1947 को भारत की आजादी के साथ ही डोमिनियन स्टेट के मुखिया यानी प्रधानमंत्री के रूप में नेहरू ने शपथ ली उनका यह कार्यकाल पहले आम चुनाव होने तक चला।
1952 में प्रथम लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को प्रचंड बहुमत मिला और 364 सीटों के साथ नेहरू पहले निर्वाचित प्रधानमंत्री बने। इसके बाद 1957 में दूसरे आम चुनाव में कांग्रेस को 371 सीटें मिलीं और नेहरू ने दूसरी बार निर्वाचित प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। 1962 में हुए तीसरे आम चुनाव में भी नेहरू के नेतृत्व में चुनाव लड़ा गया और 361 सीटों के साथ इस बार भी प्रचंड बहुमत से नेहरू प्रधानमंत्री बने। कार्यकाल के समय को देखा जाए तो उन्होंने लगभग 17 सालों तक प्रधानमंत्री के रूप में देश को अपनी सेवाएं दीं। महत्वपूर्ण बात यह कि हर बार प्रचंड बहुमत से उन्होंने सरकार बनाई। अब वर्तमान प्रधानमंत्री के कार्यकाल की बात करते हैं। दो सफल कार्यकाल नरेन्द्र मोदी ने पूर्ण किए हैं। हालांकि दोनों में से किसी भी चुनाव में वह अपनी पार्टी भाजपा को उतनी सीटें नहीं दिला पाए जितनी नेहरू ने दिलाईं।
मोदी के नाम पर 2014 में 282 और 2019 में 303 सीटें मिलीं थीं। 2024 में नरेन्द्र मोदी ऐड़ी चोटी का जोर लगाकर महज 240 सीटें ही ला पाए। दूसरी बात यह कि तीसरी बार प्रधानमंत्री बने नरेन्द्र मोदी एक अल्पमत की गठबंधन सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। जिसमें प्रत्येक निर्णय के लिए उन्हें अपने सहयोगियों पर निर्भर रहना होगा। देश को आत्मनिर्भर बनाने की बात करने वाले नरेन्द्र मोदी आज खुद सरकार चलाने के लिए गठबन्धन की बैसाखियों पर आ गए हैं।
गोदी मीडिया द्वारा फैलाए जा रहे एक और भ्रम को समझिए। कहा जा रहा है कि तीसरे प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने वाले वह नेहरू के बाद दूसरे प्रधानमंत्री हैं। यह बात भी सरासर गलत और तथ्यहीन है। मोदी तीसरी बार शपथ लेने वाले देश के प्रधानमंत्रियों में चौथे नम्बर पर आते हैं। न सिर्फ जवाहर लाल नेहरू, बल्कि उनके बाद आयरन लेडी के नाम से विख्यात इंदिरा गाँधी व अपने विशिष्ट भाषण कला के लिए विख्यात भाजपा नेता अटल बिहारी वाजपेयी भी तीन बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ग्रहण कर चुके हैं। इंदिरा गाँधी ने 1967, 1971 व 1980 में प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी व लगभग 16 साल तक इस पद पर कायम रही थीं, जबकि अटल बिहारी वाजपेयी ने 1996, 1998 व 1999 में प्रधानमंत्री पद की शपथ ली और वह कुल लगभग 6 साल तीन माह तक इस पद पर कार्यरत रहे। इन तथ्यों की जाँच आप सरकार की वेबसाइट pmindia.gov.in, archivepmo.gov.in व विकिपीडिया पर जाकर भी चेक कर सकते हैं।
देखा जाए तो नरेन्द्र मोदी दूसरे गैर कांग्रेसी नेता जरूर हैं जो तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ले चुके हैं। उनका तीसरा कार्यकाल कैसा रहेगा इसका जवाब अभी भविष्य के गर्भ में छिपा है। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि वह एक अल्पमत वाली सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं और भारत में गठबन्धन सरकारों का रिकॉर्ड बहुत उज्ज्वल तो कभी नहीं रहा है।
अनसुनी आवाज की ओर से हम आशा करते हैं कि तीसरे कार्यकाल में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने वचनों व गारंटियों पर खरा उतरेंगे और आम जनता के मुद्दों पर संजीदगी से विचार कर उनके समाधान का प्रयास करेंगे।

रूपेश कुमार सिंह सम्पादक, अनसुनी आवाज
रूपेश कुमार सिंह
सम्पादक, अनसुनी आवाज

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