बच्चों की डबडबाई आँखों में
जिंदा रहने के ख्वाबों का कत्ल करने वाले
ये मजहब और हथियार
इक रोज पूरी दुनिया निगल जाएंगे।
वे सैनिक
खुद पर फभ करने लायक नहीं रहेंगे
जिनकी खून से लथपथ
खोखली शान का मजाक
छोटी-छोटी हथेलियों
और पत्थरों के टुकड़ों ने उड़ाया है।
जिनकी बंदूकों के जवाब
गुस्साए बच्चों ने पत्थरों से दिए हैं।
वो सेना सो नहीं सकेगी
जो अभी-अभी बचपन का
कत्ल करके लौटी है।
तबाही के ढेर में
अपना सिर थामे हुए बच्चे
किसी को माफ नहीं करेंगे।
जहाँ विजयी होने का उद्घोष
दर्दनाक चीखों में डूब गया हो
जहाँ जिंदगियां
खौफनाक मंजर आँखों में लिए
मलबे के नीचे दब चुकी हों
वहाँ बचे हुए आँसू
पूरी धरती को डुबो देंगे।