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Editor’s Pick




Editor’s Pick

गाँधी को तुम कहां मार पाओगे वे••••

By Rupesh Kumar Singh
April 6, 2022
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गाँधी को तुम कहां मार पाओगे वे••••   -रूपेश कुमार सिंह  “आज गाँधी जयन्ती है•••” •••बात यहां से शुरू होती थी और सड़क के दोनों ओर गू से पटी घास व झाड़ियों को उखाड़ कर खत्म होती थी। तब हमारे स्कूल के इर्द-गिर्द नहर की पगडण्डी और सड़क के दोनों ओर मुहल्ले के लोग खुले…
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Editor’s Pick

बाढ़ का पानी और खिचड़ी की दावत

By Rupesh Kumar Singh
April 6, 2022
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बाढ़_का_पानी_और_खिचड़ी_की_दावत   तकरीबन 22 साल बाद आज फिर  दिनेशपुर में लोग बाढ़ के पानी में मछली मारते और मस्ती करते नजर आये। 1998 तक हर साल नगर बरसात में जलमग्न रहता था। सुन्दरपुर, टेकपाडा, दुर्गापुर, आनन्दखेड़ा, चन्दननगर सहित तमाम गाँवों के बाढ़ पीड़ित लोग अपनी घर-बाड़ी छोड़कर कुछ जरूरी सामान लेकर दिनेशपुर के इंटर कॉलेज…
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कविता




कविता

अनुभूति

By Rupesh Kumar Singh
April 7, 2022
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कविता•••   *अनुभूति* कहने पर तुम्हारे बारंबार/भरोसा जताने पर, उतरा था मैं तलाशने को खूबसूरत सत्य! दर्द को बर्दाश्त करो समर्पण को महसूस करो जीवन की रूहानियत को करो आत्मसात तुम्हें होगी मेरे प्रेम की अनुभूति! बिना शर्त विश्वास करो भाव में एहसास करो गहराई में उतरो मुझसे करो मुलाकात तुम्हें होगी मेरे कोमलतम की…
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कविता

प्रेम क्षणिका

By Rupesh Kumar Singh
April 7, 2022
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इंसान ‘मुसलमान’  नहीं हो तुम  मुझे पता है,  मैं नहीं हूँ   ‘हिन्दू’   तुम्हें पता है।   हम हैं सिर्फ    ‘इंसान’   एक-दूजे को पता है।  गली-मोहल्ले, घर-परिवार/समाज में   हमें क्यों नहीं   मिलते हैं इंसान?  मिलते हैं सिर्फ   हिन्दू-मुसलमान।  इतना मुश्किल क्यों है  जाति-धर्म-सम्प्रदाय   को छोड़कर   इंसान बनना?  जीवन भर खटकर  हम-तुम मिलकर  बना…
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कहानी




कहानी

सत्यकथा : बलात्कार

By Rupesh Kumar Singh
April 7, 2022
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– रूपेश कुमार सिंह  “पोशम्पा भई पोशम्पा डाकिये ने क्या किया सौ रुपये की घड़ी चुराई अब तो जेल में जाना पड़ेगा जेल की रोटी खानी पड़ेगी जेल का पानी पीना पड़ेगा अब तो जेल में जाना पड़ेगा…..” बच्चों के झुंड ने रूपा को हाथों के बीच धर लिया। चोर…चोर… कहकर, बच्चे चीखने लगे, हँसने लगे,…
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कहानी

कहानी- न्यौछावर

By Rupesh Kumar Singh
April 7, 2022
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कहानी- न्यौछावर रूपेश कुमार सिंह …दाम्पत्य जीवन की शुरुआत और यहाँ प्रेम की लिपटा-चिपटी की जगह दोनों की आँखों में भविष्य की आशंका, तमाम योजनाएं घर बना रही थीं। झोपड़ी की छत को चीरकर आसमान तक पहुँचने के सपनों का रेखांकन खिंच रहा था। जिन्दगी को कैसे बेहतर बनाया जाए? झोपड़ी को कैसे टीन-शेड में…
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पड़ताल




पड़ताल

किसकी साजिश का परिणाम था पंतनगर गोलीकाण्ड…? (भाग-तीन)

By Rupesh Kumar Singh
April 7, 2022
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इतिहास के पन्नों से….. पड़ताल…भाग तीन किसकी साजिश का परिणाम था पंतनगर गोलीकाण्ड…? -रूपेश कुमार सिंह 13 अप्रैल, 1978 को हुए गोलीकाण्ड से एक सप्ताह पहले कुलपति डॉ धरमपाल सिंह ने पंतनगर कर्मचारी संगठन के तत्कालीन अध्यक्ष सी0बी0 सिंह, महामंत्री ए0सी0 कुलश्रेष्ठ सहित कई नेतृत्वकारियों को नौकरी से निकाल दिया। इन्हें पंतनगर कैम्पस से बाहर…
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पड़ताल

उत्तराखण्ड में माओवाद का हौव्वा क्यों…?

By Rupesh Kumar Singh
April 7, 2022
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-“ज्यादातर मामलों में दोष मुक्त हो चुके हैं कथित माओवादी, किसी को भी नहीं हुई सजा।” -रूपेश कुमार सिंह उत्तराखण्ड पुलिस राज्य में माओवाद का हौव्वा क्यों बनाये रखना चाहती है? हर प्रगतिशील, सामाजिक कार्यकर्ता, वामपंथी सोच का व्यक्ति उसे माओवादी नजर आता है। सिडकुल में श्रमिक आन्दोलन के अगुवा हों, तो वो माओवादी हैं,…
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बंगाली समाज




बंगाली समाज

दंगा पूर्वी पाकिस्तान से नहीं, कोलकाता से शुरू हुआ: विधुभूषण अधिकारी

By Rupesh Kumar Singh
April 6, 2022
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तराई में बसे बंगाली विस्थापित समाज की आपबीती भाग-12 दंगा पूर्वी पाकिस्तान से नहीं, कोलकाता से शुरू हुआ:  विधुभूषण अधिकारी -रूपेश कुमार सिंह   रुद्रपुर विधानसभा क्षेत्र के ग्राम बसन्तीपुर निवासी 81 वर्षीय बुजुर्ग विधुभूषण अधिकारी का जन्म 1940 में पूर्वी पाकिस्तान के सातखीरा-कालीगंज थाना के अन्तर्गत बैलेडांगा हुसैनपुर गाँव में हुआ था। उनकी स्मृति…
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यात्रा वृत्तान्त




यात्रा वृत्तान्त

पश्चिम बंगाल में पांच दिन (भाग-एक)

By Rupesh Kumar Singh
April 8, 2022
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कोलकाता यात्रा से…… भाग-एक पश्चिम बंगाल में पांच दिन -रूपेश कुमार सिंह वातावरण देखकर भी आदमी खामोशी लाद लेता है, कतई चूं…चां…नहीं। सब कुछ शान्त….शान्त….बिल्कुल शान्त। ए0सी0 हवा की सरसराहट भी साफ-साफ कानों में पहुंच रही है। रात के लगभग एक बजे हैं। सुबह की फ्लाइट से जाने वाले यात्री कुर्सी पर झूल रहे हैं।…
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राजनीति




राजनीति

कोरोना काल में रोविंग रिर्पोटिंग : बदहाल विधानसभा, कुछ तो बोलो ठुकराल !

By Rupesh Kumar Singh
April 7, 2022
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 आठ साल! रूद्रपुर विधानसभा क्षेत्र बदहाल कौन है जिम्मेदार! कुछ तो बोलो ‘ठुकराल’ ??? -रूपेश कुमार सिंह लम्बी-चैड़ी कद-काठी, गठीला शरीर, गोरा रंग, आँखों पर रेबन का काला चश्मा, गले में भगुवा गमछा, हाथों की अँगुलियों में चार-छः अँगुठियां, माथे पर लम्बा लाल सुर्ख तिलक, हाथ की कलाई में कलावे की राखी, मोदीनुमा कुर्ता-पैजामा, धाकड़…
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राजनीति

विधायक ठुकराल जी कुछ तो सोच समझकर बोला करो !

By Rupesh Kumar Singh
April 7, 2022
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प्राण की इतनी ही परवाह थी तो राजनीति में काहे आये विधायक जी? परचून की दुकान खोल लिए होते और आराम से सौदा बेचते। न रोज-रोज पब्लिक से मिलने का झंझट होता और न ही प्राणों की चिन्ता। देश और दुनिया में लाखों लोग विभिन्न तरह से अपनी जान की बाजी लगाकर कोरोना से संघर्ष…
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राजनीति

कोरोना काल में रोविंग रिपोर्टिंग (भाग-दो) : सड़क के गड्ढे राजनीतिक खाई न बन जाएं ठुकराल साहब !

By Rupesh Kumar Singh
April 7, 2022
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चर्चित शायर इरतज़ा निशात ने एक शेर कहा था-  ‘‘कुर्सी है तुम्हारा यह जनाजा तो नहीं है कुछ कर नहीं सकते तो उतर क्यों नहीं जाते?’’      रुद्रपुर क्षेत्र की जनता विधायक राज कुमार ठुकराल से यही सवाल कर रही है। आठ साल में शहर की एक भी मुख्य सड़क न बना पाने के…
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राजनीति

उत्तराखण्ड में ‘आप’ को तीसरे विकल्प नहीं, मोर्चे की ओर बढ़ना चाहिए

By Rupesh Kumar Singh
April 7, 2022
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आम आदमी पार्टी 2022 में उत्तराखण्ड में विधानसभा चुनाव लड़ेगी। अरविन्द केजरीवाल की इस घोषणा के साथ ही राज्य में राजनीतिक सरगर्मी बढ़ी है। आप नेता जगह-जगह प्रेस कांफ्रेंस करके फ्री स्कीम की पोटली खोल रहे हैं। दिल्ली सरकार के काम गिना रहे हैं। कांग्र्रेस-भाजपा के खिलाफ आप को तीसरे विकल्प के रूप में पेश…
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समाज




समाज

कोराना काल में नीरो की बंशी !

By Rupesh Kumar Singh
April 8, 2022
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राष्ट्रीय मासिक पत्रिका प्रेरणा-अंशु के मई माह का सम्पादकीय -वीरेश कुमार सिंह      पिछली 15 मार्च को जब हम लोग प्रेरणा-अंशु के वार्षिक समारोह व मास्साब की द्वितीय पुण्यतिथि के अवसर पर उनकी पुस्तक ‘गाँव और किसान‘ के विमोचन का कार्यक्रम आयोजित कर रहे थे तब तक किसी को यह अंदेशा नहीं था कि…
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समाज

…अभी मैं किस तरह मुस्कराऊँ ?

By Rupesh Kumar Singh
April 7, 2022
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…अभी मैं किस तरह मुस्कराऊँ ? –रूपेश कुमार सिंह दिनेशपुर मेरा अपना कस्बा। यहां का कण-कण बसा है मेरे रोम-रोम में। खेत-खलियान, नहर-तालाब, भाषा-बोली, नगर-बाजार, रहन-सहन, खान-पान, मिलना-जुलना, आबोहवा, तीज-त्योहार, मन-मुटाव, लोगों का परस्पर प्रेम हर चीज में पूरी तरह घुला-मिला हूँ। कस्बे की छोटी सी कामयाबी भी बड़ी खुशी देती है और क्षति गहरा…
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समाज

स्वदेशी: तरक्की का मंत्र या राजनीति का टोटका?

By Rupesh Kumar Singh
April 7, 2022
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समसामयिक-लेख   -वीरेश कुमार सिंह        जबसे प्रधानमंत्री मोदी जी ने टीवी पर आकर राष्ट्र और राष्ट्रवासियों को सम्बोधित करते हुए उनसे आत्मनिर्भर बनने व स्वदेशी अपनाने का आहवान किया है तबसे उनके अनुयायी जिन्हें सामान्यतः भक्त कहने का चलन हो चुका है, एक बार पुनः पाजामे से बाहर आ चुके हैं। बीस…
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समाज

कोरोना काल में चिन्तन : श्लील बनाम अश्लील।

By Rupesh Kumar Singh
April 7, 2022
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सरकारी अश्लीलता पर बात कब होगी जनाब? -वीरेश कुमार सिंह औरेया के सड़क हादसे पर एक मित्र ने फेसबुक पर पोस्ट डाली जिस पर कमेण्ट करते हुए मैंने (हालांकि मैं कभी ऐसा नहीं करता हूँ या ये कहूँ कि उससे पहले तक कभी नहंी किया था) एक सामान्य रूप से प्रचलित अपशब्द का इस्तेमाल कर…
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समाज

कोराना काल में नीरो की बंशी !

By Rupesh Kumar Singh
April 7, 2022
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राष्ट्रीय मासिक पत्रिका प्रेरणा-अंशु के मई माह का सम्पादकीय -वीरेश कुमार सिंह      पिछली 15 मार्च को जब हम लोग प्रेरणा-अंशु के वार्षिक समारोह व मास्साब की द्वितीय पुण्यतिथि के अवसर पर उनकी पुस्तक ‘गाँव और किसान‘ के विमोचन का कार्यक्रम आयोजित कर रहे थे तब तक किसी को यह अंदेशा नहीं था कि…
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