सत्यकथा : बलात्कार

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– रूपेश कुमार सिंह  “पोशम्पा भई पोशम्पाडाकिये ने क्या कियासौ रुपये की घड़ी चुराईअब तो जेल में जाना पड़ेगाजेल की रोटी खानी पड़ेगीजेल का पानी पीना […]

…अभी मैं किस तरह मुस्कराऊँ ?

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–रूपेश कुमार सिंह दिनेशपुर मेरा अपना कस्बा। यहां का कण-कण बसा है मेरे रोम-रोम में। खेत-खलियान, नहर-तालाब, भाषा-बोली, नगर-बाजार, रहन-सहन, खान-पान, मिलना-जुलना, आबोहवा, तीज-त्योहार, मन-मुटाव, […]

राख

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राख के ऊपर भीसुर्ख़, भुरभुरी राख होती है बिल्कुल सफेदबर्फ जैसी•••देखी है कभी?राख नर्म होती है लकड़ी और कोयले से कई लाख गुणा नर्मउस नर्मी में होती […]

किच्छा विधायक राजेश शुक्ला से पत्रकार रूपेश कुमार सिंह का सीधा सवाल…!

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विधायक राजेश शुक्ला जी आपसे मेरा सीधा सवाल है- पं0 राम सुमेर शुक्ला स्मृति राजकीय मेडिकल कालेज रूद्रपुर से संबंधित प्रकाशित विज्ञापन में स्वतंत्रता संग्रमा […]

कविता- रूपेश कुमार सिंह

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डाॅ दिनेश अग्रवाल और डाॅ अंकिता के साथ दाँत निकलवाने के बाद हे प्रिय!तुम्हें बहुत मिस कर रहा हूँ आजटटोल रहा हूँ तुम्हारे स्वाद के […]

लघुकथा – सिर्फ बहू चाहिए !

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मेरी पोटली से –  रूपेश कुमार सिंह ‘‘रूपा की माँ बहुत देर हो गयी, लेकिन अभी तक सक्सेना जी अपने लड़के को लेकर पहुँचे  नहीं?’’ […]

कहानी- न्यौछावर

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रूपेश कुमार सिंह …दाम्पत्य जीवन की शुरुआत और यहाँ प्रेम की लिपटा-चिपटी की जगह दोनों की आँखों में भविष्य की आशंका, तमाम योजनाएं घर बना […]