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सहजन का जाता हुआ सीजन है। शहरी लोग इसके बारे में कम जानते हैं। जो जानते हैं वो इसे लकड़ी की सब्जी कहते हैं। खाना तो बहुत दूर की बात है, बहुत से लोगों ने तो इसे देखा भी नहीं होगा, देखा होगा तो खाया नहीं होगा। खायें कैसे? बनाना आये तब न! सहजन जितना स्वादिष्ट होता है, उतना ही गुणकारी भी।
दिनेशपुर क्षेत्र में इसकी बहुतायत है। बावजूद इसके बाजार में 80 रुपये किलो बिक रहा है। सहजन का जलवा देखिए, सब्जी मण्डी में कोई भी सब्जी इस समय 40 रुपये से ऊपर नहीं है, लेकिन सहजन का रेट कम होने का नाम ही नहीं ले रहा है। अनजान लोगों को सहजन से जरूर राब्ता होना चाहिए।

आइए, आज सहजन के गुणों को और बारीक से समझते हैं। इन दिनों प्रेरणा-अंशु व मास्साब की किताब गाँव और किसान लेकर हम लोग गाँव-गाँव घूम रहे हैं। बहुत से नये अनुभव मिल रहे हैं। सहजन से रू-ब-रू आपको भी होना चाहिए।

  • सहजन में कार्बोहाइड्ेट, प्रोटीन, वसा, पानी, विटामिन सी, कैल्सियम, आयरन आदि तत्व बड़ी मात्रा में पाये जाते हैं।
  • सैक्स पावर को बढ़ाने में भी यह राम वाण का काम करता है।
  • जड़ को छोड़कर सहजन के पेड़ के सभी भाग जैसे पत्ते, फूल, फल, बीज, छाल, विभिन्न औषधियों को बनाने में इस्तेमाल होते हंै।
  • छाल से बने काढ़े में सेंधा नमक एवं हींग डालकर पीना पित्ताशय की पथरी में हितकारी है। घाव पर पत्तों को पीसकर लगाने से घाव भरता है।
  • पत्तों का सूप बनाकर पीने से रक्त दोष खत्म होता है। शुद्ध रक्त का संचार होता है। कान के दर्द में भी रस कारगर होता है।
  • फलियों के सेवन से सौन्दर्य में निखार आता है और तमाम रोगों में कारगर होती हंै।
  • लीवर की बीमारी में यह बहुत करगर होता है।
  • पैर की मोच या जोड़ों के दर्द में इसके पत्ते पीस कर सरसों के तेल में भिगाकर लगाने से लाभ होता है।
  • बच्चों के पेट के कीड़ों की समस्या में इसकी सब्जी कारगर है।
  • मोटापा घटाने में भी सहजन असरदार होता है।
  • छाल उबाल कर कुल्ला करने से दाँतों के दर्द में आराम मिलता है।
  • उच्च रक्तचाप के मरीजों के लिए पत्तियों का रस फायदेमंद होता है।
  • अस्थमा के रोगियों को भी इसके पत्तों का रस फायदा पहुँचाता है।

इसके अलावा तमाम गुण बताते हैं जानकार लोग। वैसे जितने मुँह उतनी बातें। हर कोई इसके अलग-अलग इस्तेमाल की बात करता है। कल विकास भाई के घर जाना हुआ। वहाँ भाभी जी ने अन्य सब्जियों के साथ सहजन भी बना रखी थी। घर पर पेड़ लगा है। मुश्किल से सप्ताह भर और फल रहेगा। 
विकास दा की दीदी ने बताया कि सहजन साल में दो बार लगता है। अब बरसात के बाद अक्टूबर में फिर से सहजन का फूल खिलेगा और फल लगेगा। उन्होंने बताया कि सहजन का पेड़ दो किस्म का होता है। एक साल में एक बार ही फल देता है और दूसरा दो बार। अक्टूबर में आने वाला फल ज्यादा स्वादिष्ट होता है। 
मित्र मनोज राय ‘मुन्ना’ ने बताया कि पहले सहजन गरीबों का भोजन माना जाता था। बंगाली समाज ही इसका इस्तेमाल कारता था। धीरे-धीरे अन्य लोग भी इसे पसंद करने लगे। पहले यह फ्री में भी मिल जाता था, लेकिन अब इसका भाव 100 रुपये किलो तक रहता है।
ग्राम प्रधान विकास सरकार ने बताया कि इसे लगाना बहुत आसान है। एक बड़ी टहनी लेकर एक से दो फिट तक जमीन में गाड़ कर ऊपर से गोबर लगाया जाता है। अगले सीजन में ही पेड़ पर फल लगने लगता है।
बंगाली समाज में इसे कई तरह से बनाया जाता है। 
विकास दा की पत्नी ने बताया कि सहजन बनाना बहुत सरल और कम खर्चीला है। कुछ आलू लो और उन्हें तेल में जीरे के साथ भून लो। लहसुन का दो फाड़ करके जीरा, काली मिर्च, सरसों, हींग के पाउडर से छोंक लगा दो। ऊपर से स्वादानुसार नमक और हल्दी डाल दो। दो-चार हरी मिर्च भी दो फाड़ करके डाल सकते हैं। जब आलू और रसा ठीक से पकने लगे तो उसमें सहजन के कटे हुए पीस डाल दें। अगले 10-15 मिनट में सब्जी बनकर तैयार। यदि चावल से खाना है तो रसा बढ़ा कर रखें नहीं तो रोटी के लिए लागालिपटा ही रहने दें।

कल शाम लगभग दो घंटे सहजन पर ही लोगों से जानकारी जुटाई। इतनी मेहनत की है तो आप सबके बीच साझा तो करना ही है न। एक बार सहजन का स्वाद जरूर लेकर देंखें।
-रूपेश कुमार सिंह समाजोत्थान संस्थान दिनेशपुर, ऊधम सिंह नगर, उत्तराखंड
9412946162

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