स्थाई नौकरियां कितनी हैं और रोजगार की गुणवत्ता क्या है?
देश में काम करने वाली आबादी का 35 प्रतिशत वह है, जिसमें वे लोग शामिल हैं,जो अपने पारिवारिक काम धंधे में लगे अवैतनिक कामगार हैं। ऐसे काम धंधे में वेतन या मजदूरी नहीं है और काम भी परिवार के लोग करते हैं।पशु पालन, चोटी दुकान, हाट बाजार,रेहड़ी, पटरी,ठेला, रेहड़ी और फेरी वाले लोग हैं ये।इसे स्वरोजगार कहा जाता है।
काम करनेवालों में इनका प्रतिशत सबसे ज्यादा है। सरकार इसी स्वरोजगार पर जोर देती है। पढ़ी लिखी लडकियां सिलाई बुनाई का जो काम करती हैं, वह भी रोजगार है।
चाय बेचना, गाय भैंस पालना और पकौड़ी तलना भी रोजगार है। कौशल विकास कार्यक्रम और रोजगार सृजन के सरकारी कार्यक्रम के रोजगार भी ऐसे ही हैं। इस हिसाब से इस देश की कोई स्त्री बेरोजगार नहीं है क्योंकि घर के सारे अवैतनिक काम काज वे ही करती हैं।
स्वरोजगार पर इतना जोर और रोजगार सृजन कितना? दिहाड़ी और संविदा नौकरियां रोजगार हैं तो स्थाई नौकरियां कितनी हैं? निजीकरण,उदारीकरण और ग्लोबीकरण के मुक्त बाजार में तकनीक नौकरियां खा गई।बाकी रही सही कसर कृत्रिम बुद्धिमत्ता निकाल रही हैं। सबको रोजगार और हर हाथ को काम की राजनीति में गुणवत्ता वाली स्थाई नौकरी और काम के अवसर कितने हैं?
सेना में सबसे ज्यादा स्थाई नौकरियां थीं।पेंशन और दूसरी सुविधाएं थीं। सब खत्म। सेना में भी अब अस्थाई नियुक्ति, अग्निवीर योजना। पेंशन और दूसरी सुविधाएं सिरे से खत्म। रेलवे सबसे ज्यादा रोजगार देने वाला था। अब वहां कितनी नौकरियां हैं? बैंक, परिवहन, ऊर्जा, डाक संचार, बंदरगाह,विमानन, तेल गैस, आईटी,है सेक्टर का हाल देख लीजिए।
अपने गांव,शहर,इलाके में देख लीजिए कितने आईएएस,आईपीएस ऑफिसर हैं, कितने डॉक्टर इंजिनियर हैं, कितने बैंक कर्मी हैं। जो सिडकुल जैसे औद्योगिक इलाके बने हैं,वहां ठेके की दिहाड़ी मजदूरी कितनी है और कितनी हैं स्थाई नौकरियां। कितने लोग असंगठित क्षेत्र में काम करते हैं।उनके काम के घंटे कितने हैं, कार्यस्थल की स्थितियां क्या है,वेतन,मजदूरी क्या है। काम की सुरक्षा कितनी है।किसी सर्वेक्षण की जरूरत नहीं है।क्या आपके घर परिवार,गांव के शिक्षित युवाओं को उनकी योग्यता के मुताबिक रोजगार मिला है?
सरकारी आंकड़ों में बेरोजगारी दर में भारी गिरावट का दावा किया जाता है।जैसे देश की विकास दर, अर्थव्यवस्था में वृद्धि की घोषणाएं की जाती है। प्रतिव्यक्ति आय बढ़ जाती है या महंगाई घट जाती है। आंकड़ों में सबकुछ संभव है। सरकारें तो अलादीन के जिन्न हैं। हुक्म करें या न भी करें,आंकड़े हाजिर।
सरकार का दावा है कि शहरी क्षेत्र में बेरोजगारी दर में भारी गिरावट आई है।देश में काम करने वाले लगातार बढ़ रहे हैं।इनमें ग्रामीण महिलाओं की भारी संख्या है। अक्टूबर – दिसंबर 2023 के दौरान शहरी क्षेत्र में 15 वर्ष और उससे अधिक उम्र के लोगों की बेरोजगार दर 6.5 प्रतिशत बताई गई। बताया गया कि पुरुषों के साथ महिलाओं के रोजगार ग्राफ बढ़ रहा है। दिसंबर 2023 में ही वर्ल्ड ऑफ स्टेटिक्स के मुताबिक भारत में बेरोजगारी दर 7.1 प्रतिशत है।
भारत में युवाओं की आबादी 37.14 करोड़ है। इनके लिए कितना रोजगार सृजन है?
अजीम प्रेमजी विश्व विद्यालय की ओर से जारी 2023 की रपट के अनुसार देश में अपढ़ और कम पढ़े-लिखे लोगों की बेरोजगारी दर 2020-21 के दौरान सिर्फ 8 प्रतिशत थी। वहीं ग्रेजुएशन या उससे ज्यादा पढ़ाई करनेवालों की बेरोजगारी दर 16 प्रतिशत थी। इसी रपट के अनुसार 25 वर्ष से कम उम्र के 42.3 प्रतिशत युवाओं को नौकरी नहीं मिल रही है। तो वहीं 30 साल तक के 32.6 प्रतिशत ग्रेजुएट बेरोजगार हैं।
भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार हर साल भारत में 1.67 मिलियन ग्रेजुएट निकलते हैं। 2022 में देश में ग्रेजुएट युवाओं की संख्या एक करोड़ से ज्यादा थी।
हर साल देश में 15 लाख इंजीनियर निकलते हैं। नैसकॉम की रपट के मुताबिक इनमें सिर्फ 8.5 लाख इंजीनियर ही रोजगार लायक हैं। क्या उन सभी को भी गुणवत्ता वाली नौकरी मिलती है? 45 प्रतिशत इंजीनियरों के लिए काम का कोई अवसर नहीं है।
दुनियाभर में आईटी सेक्टर में छंटनी हो रही है। वैश्विक मंदी और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के कारण इस सेक्टर में मिड करियर नौकरी छीनी जा रही है। जनवरी 2023 में ही भारत में आईटी सेक्टर में लगे एक लाख युवा बेरोजगार हो गए।
आईटीआई कभी रोजगार की गारंटी मानी जाती थी। अब भी लाखों युवा आईटीआई से प्रशिक्षित होते हैं। अब क्या हालत है? कौशल विकास कार्यक्रम, रोजगार सृजन योजनाओं और स्वरोजगार के आलम में आईटीआई की दशा दिशा क्या है?
ट्रांसफॉर्मिंग इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट शीर्षक से नीति आयोग ने कहा है कि आईटीआई पास करने वाले युवा न रोजगार योग्य हैं और न अपना उद्यम शुरू करने के लिए पर्याप्त कुशल हैं। जबकि आईटीआई व्यवसायिक प्रशिक्षण की रीढ़ है। आयोग की रपट के अनुसार प्रशिक्षण की गुणवत्ता, फैकल्टी और बुनियादी ढांचा वैश्विक मानकों के मुताबिक नहीं हैं।
टैलेंट असेसमेंट फर्म व्हीबॉक्स की स्टडी के मुताबिक शिक्षा प्रणाली में खामी के कारण देश में मौजूद 50 प्रतिशत युवा बेरोजगार ही रहेंगे।
बाकी आप समझ लीजिए।