पांचवां चरण निपटते ही देश के गृहमंत्री अमित शाह दिल्ली पहुंचे। सभा को संबोधित किया। आग उगलने लगे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल के खिलाफ। लाजिमी है, अमित शाह केजरीवाल ही नहीं समूचे विपक्ष की जमकर आलोचना करें। लेकिन जिस जनता से अमित शाह खुद भाजपा के लिए वोट मांग रहे हैं, उसी जनता को वे पाकिस्तानी, रोहिंग्गा मुसलमान, नक्सली कैसे कह कसते हैं? अमित शाह कैसे भूल गये कि दिल्ली के जिस मतदाता ने राज्य सरकार के लिए आम आदमी पार्टी व केजरीवाल को समर्थन किया उसी मतदाता ने 2019 के लोकसभा चुनाव में दिल्ली की सातों सीटें भाजपा को दी, नरेन्द्र मोदी पर अपनी आस्था जताई। जो मतदाता भाजपा को वोट नहीं देंगे क्या वे पाकिस्तानी हो जायेंगे?
देश के गृहमंत्री की यह कैसी भाषा है? कौन मतदाता पाकिस्तानी है कौन हिन्दुस्तानी? कौन रोहिंग्गा मुसलमान है और कौन हिन्दू? कौन नक्सली है और कौन देश भक्त? क्या इसका प्रमाणपत्र देश के गृहमंत्री अमित शाह जारी करेंगे? दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविन्द केजरीवाल ने कड़ी आपत्ति जताते हुए अमित शाह को चेतावनी दी है।
इंडिया गठबंध दावा कर रहा है कि पांच चरणों के रूझान भाजपा के खिलाफ हैं। 4 जून को भाजपा की सरकार नहीं बन रही है। इस भय से अमित शाह अपना आपा खोते जा रहे हैं और अपने भाषणों में वे अब देश के मतदाताओं को गाली देने लगे हैं। बिन सिर पैर की बातें करने लगे हैं। आप जानते हैं कि दूसरे चरण के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने भाषणों में जहर उगलना शरू कर दिया था। वे सीधे सीधे हिन्दू मुसलमान पर आ गये थे। पांचवे चरण के बाद अमित शाह भी मतदाताओं को उकसाने वाले बयान देने लगे हैं। खास तौर पर दिल्ली में भाजपा इंडिया गठबंधन से पिछड़ते हुए दिख रही है। इसलिए अमित शाह ने अब दिल्ली में पाकिस्तान और नक्सली वाला राग अलापना शुरू कर दिया है।
बताया जा रहा कि 20 मई की रात्री दक्षिणी दिल्ली में अमित शाह की सभा में भीड़ बहुत कम थी। पब्लिक से रिस्पांस भी अच्छा नहीं मिल रहा था। जिस कारण अमित शाह को कई बार बोलना पड़ा कि पब्लिक जोर से श्लोग्न बोल कर अपनी उपस्थिति दर्ज कराये।
दिल्ली में 25 मई को छठे चरण में वोट डाले जायेंगे। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी दिल्ली में मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं। केजरीवाल के जेल से बाहर आने के बाद चुनाव और भी रोचक हो गया है। केजरीवाल के अनुसार यह लोकतंत्र को बचाने का चुनाव है, वहीं भाजपा इसे विकसित भारत के लिए अनिवार्य कदम बता रही है।
अमित शाह अपने संबोधन के पांचवे मिनट में ही पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर पर आ गये। बोले, हम पाक अधिकृत कश्मीर लेकर रहेंगे। दस साल नरेन्द्र मोदी की पूर्ण बहुमत वाली सरकार थी, लेकिन इस दिशा में कौन सा कदम उठाया गया, यह भी अमित शाह को बताना चाहिए। अमित शाह का यह कहना कि कांग्रेस और केजरीवाल का समर्थन भारत में नहीं बल्कि पाकिस्तान में ज्यादा है, क्या यह देश की जनता का अपमान नहीं है? देखा जाए तो दिल्ली में बोलने के लिए अमित शाह के पास कुछ खास नहीं था। कायदे में उन्हें अपने सरकार के दस साल के विकास कार्योंं व उपलब्धियों को गिनाना चाहिए था, लेकिन अमित शाह राम मन्दिर, पाकिस्तान, रोहिंग्या मुसलमान और नक्सलवाद से बाहर आ ही नहीं पाए। जब देश के प्रधानमंत्री और गृहमंत्री आम चुनाव में यदि मुद्दाविहीन कुछ भी भ्रामक जुमले फेकते रहेंगे तो देश की जनता कैसे राजनैतिक, विचारवान, प्रगतिशील बन पाएगी? राजनीति में चल रहे हल्केपन को आखिर कब देश की जनता पहचानना शुरू करेंगी।