चारधाम यात्रा! श्रद्वालु परेशान, सरकार फेल, व्यवस्थाएं धड़ाम

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उत्तराखण्ड में चारधाम यात्रा के पांचवे दिन ही सड़कें हाफने लगी हैं। मंदिर बेतहाशा अनियंत्रित भीड़ से घिरे हुए हैं। व्यवस्थाएं चरमरा गयी हैं। होटल फुल, अस्पताल फुल, सड़के फुल, वाहन फुल चारों तरफ लोगों की रेलमपेल। चारधामों में दर्शन से पहले जो मंजर श्रृद्धालु देख रहे हैं वो भयावह हैं। चारधाम यात्रा को लेकर शासन-प्रशासन की पोल पांच दिनों में ही तार तार हो चुकी है। साथ ही श्रृद्धालुओं की बेशर्बी और मानवीय भूल के उदाहरण भी अच्छे संकेत नहीं दे रहे हैं। यात्रा अभी ठीक से शुरू भी नहीं हो पायी है कि 11 लोगों के मारे जाने की खबर है। व्यवस्थाएं फैल होने से उत्तराखण्ड सरकार और अधिकारियों के हाथ पांव फूलने लगे हैं। आनन फानन में शासन ने बिना पंजीकरण के आने वाले यात्रियों पर पूरी तरह से रोक लगा दी है और आनलाइन पंजीकरण को दो दिन से बंद किया हुआ है। सरकार की माने तो अब तक 27 लाख से ज्यादा लोग चारधाम आने का पंजीकरण करा चुके हैं। पांच दिन में करीब साढ़े तीन लाख से ज्यादा श्रृद्धालु दर्शन कर चुके हैं। इस साल चारधाम आने वाले श्रृद्धालुओं की संख्या में अब तक 44 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गयी है। जो उत्तराखण्ड की भौगोलिक दृष्टि के हिसाब से बिल्कुल भी ठीक नहीं है। ऐसा पर्यावरणविद और जानकार मानते हैं।
2023 में चारधामों के कपाट 22 अप्रैल से खुलने शुरू हुए थे और 14 नबंवर तक कपाट बंद हुए थे। इस दौरान करीब 55 लाख लोगों ने चारधाम यात्रा की थी। इस बार 10 मई को कपाट खुले हैं जो कि पिछले वर्ष की तुलना में बहुत विलंब है। लोगों की भीड़ जिस तरह से उमड़ रही है, वह चिन्ता का विषय जरूर है। लेकिन क्या यह विषय सरकार की चिन्ता में शामिल है। क्या इस मुद्दे पर लोग भी संवेदनशील हैं? उत्तराखण्ड के कच्चे पहाड़ों पर इतनी बड़ी तादात में लोगों को जमा करना क्या उचित है? अभी कुछ रोज पहले तक उत्तराखण्ड जंगलों में लग रही भीषण आग की खबरों के कारण चर्चा में था। उत्तराखण्ड में 280 से ज्यादा जगह जंगलों में आग लगी, जिससे जंगल का बड़ा रकबा जल चुका है। आग पर काबू पाने में विभाग और सरकार फेल हुई। सुप्रिम कोर्ट को संज्ञान लेना पड़ा था। अब उत्तराखण्ड चारधाम यात्रा के लिए उमड़ रही बेतहाशा भीड़ की वजह से मीडिया की सुर्खियों में हैं। 15-20 दिन बाद उत्तराखण्ड में आपदाएं अपना खैफनाक मंजर पेश करने लगेंगी। यह चक्र हर साल ऐसे ही घूमता है, लेकिन क्या सरकार समय रहते कोई ठोस कार्यवाही नहीं कर सकती है। अचानक से लोगों की आस्था में इजाफा हुआ है और लोग चारधाम दर्शन के लिए सुनामी की तरह कूच करने लगे हैं, या लोग किसी विशेष विचारधारा की आगोश में आकर अंधभक्तों की कतार में शामिल हो रहे हैं, जो धर्म के आगे इंसान और प्रकृति का सामंजस्य ही भूलते जा रहे हैं और अपनी जड़ों में खुद कुल्हाड़ी मारने को तैयार हैं, सवाल महत्वपूर्ण है, लेकिन इस पर विचार करेगा कौन?
क्या हम 2013 की केदार त्रासदी को भूल चुके हैं, जिसमें हजारों लोग अकाल मौत को प्राप्त हो गये थे। आज भी उस त्रासदी के कंकाल मिल रहे हैं। केदारनाथ की घटना से हमारी सरकारों ने क्या सबक लिया? क्या हम फिर से आपदाओं के लिए माहौल नहीं बना रहे हैं? जोशीमठ अब भी धंस रहा है। जहग जहग पहाड़ दरक रहे हैं। लेकिन सरकारी और मानवीय भूल अपराध में तब्दील होकर खुद अपने विनाश की गाथा लिख रही है। हम बेखौफ धर्म की अंधी आंधी में बह रहे हैं। जबकि चारधाम क्षेत्र और आदिकैलाश भी भूकंप की जद में है। उत्तरकाशी, टिहरी से लेकर काठमांडू तक हाल के वर्षों में विनाशकारी भूकंप झेल चुके हैं। उत्तराखण्ड के चारधामों में इतनी भारी बेतरतीव भीड़ की मौजूदगी बेहद डरावना संकेत दे रही है। पहाड़ पर भगदड़ जैसे हालात पैदा हो रहे हैं। ऐसे में कोई घटना घट गई तो क्या होगा? इंसानी बेवकूफियों के सामने न सरकार कुछ कर सकेगी और न ही ईश्वर मदद दे सकेगा। 2013 केदारनाथ की घटना इसका उदाहरण है। हिमालय के ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं। ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन से प्राकृतिक जलस्रोत सूख रहे हैं। मौसम तेजी से करवट ले रहा है। पर्यावरण संरक्षण के बदले विनाश का यह कैसा माहेत्सव है? जिसे हम धूमधाम से मना रहे हैं। पहाड़ तप और जप के लिए जाने जाते हैं यह मौज मस्ती का केन्द्र बनते जा रहे हैं। चारधाम यात्रा में जाना भी आज फैशन और स्टेटस सिम्बल बनता जा रहा है। हमें अपनी जड़ों में लौटने की जरूरत है। इसके लिए सरकार आपको आगाह नहीं करेगी। लोगों को स्वतः ही संज्ञान लेना होगा। लेकिन जब आस्था को राजनीति से संचालित किया जाए तो क्या हो? सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को उत्तराखण्ड सचिवालय के द्वारा सूचना भेजी गयी है कि वे चारधाम यात्रा के लिए जारी एडवाइजरी को अपने-अपने प्रदेशों में प्रचारित कर दें। भीड़ नियंत्रित करने के लिए उत्तराखण्ड सरकार ने सख्त कदम उठाने का एलान भी किया है। बिना पंजीकरण के कोई भी चारधाम यात्रा नहीं कर पाएगा और वाहन भी बिना रजिस्ट्रेशन के राज्य में प्रवेश नहीं कर पायेंगे। फिलहाल पंजीकरण बंद है और उत्तराखण्ड सरकार ने लोगों से संयम बरतने कर आहवान किया है। चारधाम यात्रा करीब 6 माह चलती है। अभी शुरूआत है। थोड़ा इंतजार कीजिए, संयम रखिए, उत्तराखण्ड जरूर आइए लेकिन व्यवस्थाओं का आकलन करते हुए।

रूपेश कुमार सिंह सम्पादक, अनसुनी आवाज
रूपेश कुमार सिंह
सम्पादक, अनसुनी आवाज

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