मेरी पोटली से… रूपेश कुमार सिंह
लघुकथा- भेदभाव
भाई-बहन आपस में जमकर मार-पिटाई कर रहे थे।
माँ जो रसोई में थीं, वह दोनों के झगड़े को सुनकर बोली, ‘‘लड़ना बंद कर दो। दोनों मेरा कहना मान लो वरना अभी आकर डण्डे से पिटाई कर दूँगी।’’
बच्चों पर माँ के आदेश का प्रभाव पड़ा। दोनों ने गुथ्थम-गुथ्था छोड़ दी।
पर बहन, भाई की पीठ पर हल्का सा मार कर यह कहकर आगे चल दी कि तू मर जा।
यह सुनते ही माँ भन्ना गयीं। भागी-भागी रसोई से आयी और लड़की के चार-छः थप्पड़ रसीद कर दिए और बोलीं, ‘‘भाई को कहती है मर जा! शर्म नहीं आती। जा तू मर जा।’’
लड़की हतप्रभ होकर खड़ी हो गयी। बड़े ही चिन्तन भाव से बोली, ‘‘माँ तूने कहा मैं मर जाऊँ तो क्या मैं मर गयी?’’
रूपेश कुमार सिंहसमाजोत्थान संस्थान दिनेशपुर, ऊधम सिंह नगर9412946162
(नोट यह लघुकथा 2002 में लिखी गयी थी।)