हरियाणा विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी इंडिया गठबंधन का खेल बिगाड़ सकती है।वहीं हरियाणा में विनेश फोगाट के लिए बहुत सहानुभूति है,जो कांग्रेस के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं।
अग्निवीर योजना को लेकर युवाजनों में नाराजगी है। सेना में भर्ती के लिए पहला जैसा उत्साह नहीं है,प्रशिक्षण शिविर बंद हैं।किसानों की नाराजगी अलग है। कंगना राणावत और ब्रजभूषण जैसे नेताओं के बयानों ने आग में घी डालने का काम किया है। बृजभूषण शरण सिंह पर पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए फोगाट ने कहा, “बृजभूषण देश नहीं हैं। मेरा देश मेरे साथ खड़ा है। मेरे प्रियजन मेरे साथ खड़े हैं और वे मेरे लिए मायने रखते हैं।”
भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के पूर्व प्रमुख और बीजेपी के पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ पहलवानों के विरोध में सबसे आगे रहने वाले ओलंपियन पहलवान बजरंग पूनिया और विनेश फोगाट ने कांग्रेस में शामिल होकर अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत की है। बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह, विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया पर जमकर हमला बोल रहे हैं। एबीपी न्यूज के साथ बात करते हुए बृजभूषण शरण सिंह ने कहा कि विनेश फोगाट किसी दिन राहुल गांधी को ना फंसा दें। हरियाणा की बेटी पर ऐसा तंज भारी पड़ सकता है।
वहीं,बीजेपी सांसद कंगना ने कहा कि अगर हमारा शीर्ष नेतृत्व कमजोर होता तो भारत में बांग्लादेश जैसी स्थिति हो सकती थी। सभी ने देखा कि किसान आंदोलन के दौरान क्या हुआ. प्रदर्शन के नाम पर हिंसा फैलाई गई। वहां रेप हो रहे थे, लोगों को मारकर लटकाया जा रहा था।कंगना के इस बयान पर विपक्ष लगातार हमलावर है। कांग्रेस ने कंगना पर NSA के तहत एक्शन लिए जाने की मांग की है।वहीं, अब बीजेपी ने भी कंगना के इस बयान से किनारा करते हुए कहा कि ये उनका निजी बयान है और पार्टी का इससे कोई लेना-देना नहीं है। असर जो होना है, होगा।
जुलाई में हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने अग्निवीरों के लिए राज्य सरकार की कुछ नौकरियां के लिए दस प्रतिशत आरक्षण की घोषणा की थी,लेकिन युवाओं पर इसका खास असर होता नहीं दिख रहा। रेसलर विनेश फोगाट ने जींद की जुलाना सीट से कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर नामांकन भर दिया है। विनेश का भी यह पहला चुनाव है। नॉमिनेशन के बाद उन्होंने कहा कि उन्हें ससुराल और घर दोनों जगहों से बहुत प्यार और समर्थन मिल रहा है।
विनेश फोगाट ने कहा कि बड़ों के बिना, परमात्मा के बिना हम कुछ नहीं कर पाए, तब भी उन्होंने जिताया था, अब भी वहीं लोग जिताएंगे, जो मेहनत करेगा ये लोग उन्हें आशीर्वाद देंगे। हरियाणा विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी को ऐसी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। लोकसभा चुनावों में पार्टी के प्रदर्शन में गिरावट और किसानों के असंतोष ने विपक्षी कांग्रेस को बढ़त दिलाई है। आंतरिक गुटबाजी और जातिगत समीकरण समायोजित करने में भाजपा की कठिनाई हो सकती है।
किसानों और जाटों की नाराजगी बीजेपी के लिए चुनौती बनी हुई है। कांग्रेस ने पहलवानों और किसानों का समर्थन किया है। वहीं, दलित वोटरों पर भी नजरें टिकी हैं। गठबंधन और जातिगत समीकरण चुनाव परिणाम को प्रभावित कर सकते हैं।अप्रैल-मई में हुए लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान, कई गांवों ने बीजेपी की रैलियों और सभाओं का बहिष्कार किया था।
पंजाब के किसानों के साथ-साथ हरियाणा के किसान भी कृषि कानूनों पर बीजेपी के रुख के खिलाफ थे। 2021 में पीएम मोदी के तीनों विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस लेने के बावजूद, किसान अपनी मांगों पर पूरी तरह से प्रतिक्रिया न मिलने और विरोध प्रदर्शन के दौरान किसानों की मौत पर बीजेपी की चुप्पी को लेकर नाराज हैं।
किसानों में यह भावना अब भी बनी रहती है या नहीं, यह बीजेपी के भाग्य का फैसला कर सकता है। बीजेपी भी जीत को लेकर आश्वस्त दिखाई दे रही है, लेकिन इस चुनाव में उसकी राह आसान नहीं दिखाई दे रही है। उसके सामने कई बड़ी चुनौतियां हैं। इसी साल हुए लोकसभा चुनावों में मिली हार के बाद पार्टी के लिए विधानसभा चुनाव की राह आसान नहीं दिखाई दे रही है।
जून में संपन्न हुए लोकसभा चुनावों में, हरियाणा में बीजेपी की सीटें घटकर आधी रह गईं। 2014 में बीजेपी ने 10 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की थी, जो 2024 में 5 रह गईं। बीजेपी के वोट शेयर में भी 12 प्रतिशत की गिरावट आई। राज्य के 90 विधानसभा क्षेत्रों में से 44 में भाजपा, 42 में कांग्रेस और 4 में आम आदमी पार्टी (आप) आगे रही।
1977 के बाद से, हरियाणा में मतदाताओं ने कभी भी किसी भी पार्टी को लगातार दूसरी बार पूर्ण बहुमत नहीं दिया है। लोकसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस दोनों के 5-5 सीटें जीतने के साथ ही सत्ता विरोधी लहर भाजपा को घूर रही है।
क्योंकि लोकसभा चुनावों में उसके वोट शेयर के एक बड़े हिस्से में शहरी मतदाता शामिल थे जो मोदी को फिर से प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहते थे। यही कारण है कि हरियाणा में बेरोजगारी, महंगाई और भाजपा विधायकों के खिलाफ स्थानीय शिकायतें जैसे मुद्दों से पार्टी के फिर से चुनाव जीतने की संभावनाओं में बाधा आने की संभावना है।