कोराना काल में नीरो की बंशी !

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राष्ट्रीय मासिक पत्रिका प्रेरणा-अंशु के मई माह का सम्पादकीय -वीरेश कुमार सिंह      पिछली 15 मार्च को जब हम लोग प्रेरणा-अंशु के वार्षिक समारोह […]

पश्चिम बंगाल में पांच दिन (भाग-एक)

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कोलकाता यात्रा से…… भाग-एक पश्चिम बंगाल में पांच दिन -रूपेश कुमार सिंह वातावरण देखकर भी आदमी खामोशी लाद लेता है, कतई चूं…चां…नहीं। सब कुछ शान्त….शान्त….बिल्कुल […]

अनुभूति

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कविता•••   *अनुभूति* कहने पर तुम्हारे बारंबार/भरोसा जताने पर, उतरा था मैं तलाशने को खूबसूरत सत्य! दर्द को बर्दाश्त करो समर्पण को महसूस करो जीवन […]

प्रेम क्षणिका

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इंसान ‘मुसलमान’  नहीं हो तुम  मुझे पता है,  मैं नहीं हूँ   ‘हिन्दू’   तुम्हें पता है।   हम हैं सिर्फ    ‘इंसान’   एक-दूजे को […]

सत्यकथा : बलात्कार

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– रूपेश कुमार सिंह  “पोशम्पा भई पोशम्पा डाकिये ने क्या किया सौ रुपये की घड़ी चुराई अब तो जेल में जाना पड़ेगा जेल की रोटी खानी […]

कहानी- न्यौछावर

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कहानी- न्यौछावर रूपेश कुमार सिंह …दाम्पत्य जीवन की शुरुआत और यहाँ प्रेम की लिपटा-चिपटी की जगह दोनों की आँखों में भविष्य की आशंका, तमाम योजनाएं […]

किसकी साजिश का परिणाम था पंतनगर गोलीकाण्ड…? (भाग-तीन)

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इतिहास के पन्नों से….. पड़ताल…भाग तीन किसकी साजिश का परिणाम था पंतनगर गोलीकाण्ड…? -रूपेश कुमार सिंह 13 अप्रैल, 1978 को हुए गोलीकाण्ड से एक सप्ताह […]

उत्तराखण्ड में माओवाद का हौव्वा क्यों…?

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-“ज्यादातर मामलों में दोष मुक्त हो चुके हैं कथित माओवादी, किसी को भी नहीं हुई सजा।” -रूपेश कुमार सिंह उत्तराखण्ड पुलिस राज्य में माओवाद का […]

…अभी मैं किस तरह मुस्कराऊँ ?

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…अभी मैं किस तरह मुस्कराऊँ ? –रूपेश कुमार सिंह दिनेशपुर मेरा अपना कस्बा। यहां का कण-कण बसा है मेरे रोम-रोम में। खेत-खलियान, नहर-तालाब, भाषा-बोली, नगर-बाजार, […]

स्वदेशी: तरक्की का मंत्र या राजनीति का टोटका?

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समसामयिक-लेख   -वीरेश कुमार सिंह        जबसे प्रधानमंत्री मोदी जी ने टीवी पर आकर राष्ट्र और राष्ट्रवासियों को सम्बोधित करते हुए उनसे आत्मनिर्भर […]