कोलकाता यात्रा से…… भाग-एक पश्चिम बंगाल में पांच दिन -रूपेश कुमार सिंह वातावरण देखकर भी आदमी खामोशी लाद लेता है, कतई चूं…चां…नहीं। सब कुछ शान्त….शान्त….बिल्कुल […]
…अभी मैं किस तरह मुस्कराऊँ ? –रूपेश कुमार सिंह दिनेशपुर मेरा अपना कस्बा। यहां का कण-कण बसा है मेरे रोम-रोम में। खेत-खलियान, नहर-तालाब, भाषा-बोली, नगर-बाजार, […]