समसामयिक-लेख

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-वीरेश कुमार सिंह जबसे प्रधानमंत्री मोदी जी ने टीवी पर आकर राष्ट्र और राष्ट्रवासियों को सम्बोधित करते हुए उनसे आत्मनिर्भर बनने व स्वदेशी अपनाने का […]

कोरोना काल से- भाग चार

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पैदल रिपोर्टिंग-रूपेश कुमार सिंह       भौंकते सिर्फ कुत्ते ही नहीं हैं। दिमाग से पैदल, सोच-समझ शून्य, अंधभक्तों में शुमार चीत्कार करने वाले चिरांद भी […]

कोरोना काल में चर्चा:

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-रूपेश कुमार सिंह       1977 में मैग्सेसे, 1986 में पद्मश्री, 1996 में ज्ञानपीठ, 2006 में पद्मभूषण सहित दर्जनों देशी-विदेशी पुरस्कार प्राप्त करने वाली कालजयी […]

कोरोना काल से- गुफ्तगू/पैदल रिपोर्टिंग 

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-रूपेश कुमार सिंह“शहर रहने लायक बचे नहीं हैं। छोटे कस्बे और गाँव ही मुफ़ीद हैं। काश! हम भी गाँव वापस लौट पाते।” जाने-माने कवि मदन […]

कोरोना काल में- मेरी पोटली से

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-रूपेश कुमार सिंह नेता एकम नेतानेता दूनी धोखेबाजनेता तियां तिकड़मबाजनेता चौके चार सौ बीसनेता पंजे पव्वाफेकनेता छक्के छैलछबीलानेता सत्ते सत्ताधारी नेता अट्ठे अठकलबाजनेता निमां नमक हरामनेता दशम […]

राष्ट्रीय मासिक पत्रिका प्रेरणा-अंशु के मई माह का सम्पादकीय

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-वीरेश कुमार सिंह पिछली 15 मार्च को जब हम लोग प्रेरणा-अंशु के वार्षिक समारोह व मास्साब की द्वितीय पुण्यतिथि के अवसर पर उनकी पुस्तक ‘गाँव […]

भारत माता संकट में है और मौज में हैं उसकी जय के नारे लगाने वाले!

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क्या वास्तव में इससे बुरा कुछ हो सकता है? -वीरेश कुमार सिंह  ‘हमारे मोडो को इत्तो मारो है इत्तो मारो है, जे खटिया पे पड़ो […]


कोरोना काल में चर्चा •••

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फाँसी भी चढ़ेंगे और अपनी शवयात्रा भी देखेंगे••• -रूपेश कुमार सिंह  “क्रान्तिकारी की तरह फाँसी भी चढ़ना चाहते हैं और अपनी भव्य शवयात्रा भी देखना […]