गांव अब गांव नहीं रहे
जात-पात में बंट गये
मन्ख्यात की बात क्या करें
भाई भाई को लूट गये
पंच-प्रधान ठेकेदार हो गये
मक्कार, बेईमान और अय्याश हो गये
फिर भी सब मौन हैं
देखो! अबकी चुनाव में प्रत्याशी कौन है?
एक गधेरा जो बहता है इधर
उसमें बह गयी थी भेड़ें गांव की
तब जाकर पुल का बजट आया
किसी ने दस परसेंट खाया
किसी ने उससे भी ज्यादा लिया
फिर बेच डाला सीमेन्ट-सरिया
ठेकेदार मौज में
और कुछ साल बाद पुल गधेरे में
आजकल एक कहानी और सुनाई दे रही
गधेरे में मशीन लग रही
अब बड़का ठेकेदार आएगा
पत्थरों को पीसेगा
पहाड़ खोदेगा
और एक दिन सब आपदा में डूब जायेगा
फिर भी सब मौन हैं
देखो! अबकि चुनाव में प्रत्याशी कौन है?
जान से भी प्यारा जंगल हमारा
मवेशियों की बहार थी
घास-लकड़ी-पत्ती बेशुमार थी
एक दिन गिद्ध दृष्टि पड़ी
ठेकेदार ने रौंद दिए
वो जंगल, वो मस्ती
वो जरूरतमंद लोगों की हस्ती
एक पूरी दुनिया कर दी नष्ट
उन लीसा चोरों ने, मुनाफ़ाखोरों ने
फिर भी सब मौन हैं
देखो! अबकी चुनाव में प्रत्याशी कौन है?
भरपूर उगता था खेतों में अनाज
बीजों का कोई शोध नहीं
रासायनिक खाद पर कोई रोक नहीं
आड़ू-खुबानी-अखरोट और खूब था संतरा-नींबू
लोग गांव से दूर हुए
पके फल पेड़ पर लोगों से महरूम हुए
खाली जमी ठेकेदार/माफ़िया हथियाने लगे
फिर भी सब मौन हैं
देखो! अबकी चुनाव में प्रत्याशी कौन है?
जूनियर स्कूल उच्चीकृत हुवा
जलसा/प्रदर्शन करते-करते अब इंटर बन गया
एक बड़ी बिल्डिंग बनी
ठेकेदार की मूछें और घनी
फिर मास्टरों की नियुक्ति नहीं
क्लासरूम में कोई उपस्तिथि नहीं
पुस्तकालय, प्रयोगशाला के लिए कमरे नहीं
कम्प्यूटर की खिड़की कभी खुली नहीं
शिक्षा की व्यवस्था अब चौपट
फिर भी सब मौन हैं
देखो! अबकी चुनाव में प्रत्याशी कौन है?
अस्पताल तो है ही नहीं
है भी तो दूर कहीं
वहां कोई इलाज नहीं
अल्ट्रासाउंड/एक्सरे की मशीन नहीं
पैथोलॉजी वाली लैब नहीं
रैफर सेंटर नाम सही
दवाई दुकानों से खा रहे
प्रसव सड़कों पर हो रहे
फिर भी सब मौन हैं
देखो! अबकी चुनाव में प्रत्याशी कौन है?
युवा यहां का छोटा/बड़ा
जिनके सामने भविष्य खड़ा
उनके भविष्य का सपना देखे कौन
कोई शराब पीकर लड़ा
कोई भांग/गांजे से सुन्न पड़ा
कुछ उतर आए सिडकुल में मजदूरी करने
कुछ ढाबों/होटलों में भविष्य खोज रहे
बचे-खुचों में हुई छांटा/छांटी
नेताओं/ठेकेदारों ने अपने चमचे चुन लिए
फिर भी सब मौन हैं
देखो! अबकी चुनावों में प्रत्याशी कौन है?