दुर्गा पूजा समारोह में छिन्नमूल के स्टॉल लगाने का न्योता शक्तिफार्म, स्वर्गफार्म, जगदीशपुर, कालीनगर और दिनेशपुर से आ चुका है। पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा के समय पंडाल में बड़े-बड़े बुक स्टॉल लगते रहे हैं। वहां मेले-दशहरे साहित्य के आदान-प्रदान का महत्वपूर्ण जरिया रहे हैं। बौद्धिक विकास में सहायक भी।तराई में यह पहली बार है, जब बंगाली बहुल क्षेत्रों में बुक स्टॉल लगाने पर विचार हो रहा है। दिनेशपुर दुर्गा पूजा कमेटी के अध्यक्ष मनोज राय स्वयं वरिष्ठ रंगकर्मी, चित्रकार, डांसर, लेखक और शिक्षक हैं। वे इस बार दुर्गापूजा की शुरुआत रंगयात्रा से करना चाह रहे हैं। जिसमें तराई की विविध सांस्कृतिक झांकियों और ग्रुप को आमंत्रित किया जा रहा है। हो न हो इस बार पूजा में काफी कुछ खास होने की उम्मीद है। मनोज राय जी मुझे छिन्नमूल का स्टॉल लगाने के लिए आमंत्रण दे चुके हैं।लेकिन मैं क्या करूं??? 12 जुलाई 2023 को छिन्नमूल का विमोचन रुद्रपुर में एक भव्य कार्यक्रम में हुआ था। एक हजार प्रतियां प्रकाशित की गयीं थीं। विमोचन वाले दिन ही लगभग 250 प्रतियां पाठक ले चुके थे। उसके बाद हम गाँव-गाँव अभियान के तहत छिन्नमूल लेकर आम पाठकों के पास पहुंचे। बड़ी संख्या में देशभर में प्रेरणा अंशु के पाठकों ने भी छिन्नमूल प्राप्त की। अभी तीन माह भी पूरे नहीं हुए हैं और किताब का स्टॉक समाप्त होने को है।पहले संस्करण की आखिरी 50 प्रतियां शेष हैं। और दुर्गापूजा तक दूसरा संस्करण आ पाना संभव नहीं है। ऐसे में हम कैसे बुक स्टॉल लगायेंगे???हमने तय किया है कि अब डाक से या सीधे तौर पर पाठकों को दूसरा संस्करण न आने तक छिन्नमूल का वितरण रोक रहे हैं। पूजा में हम छिन्नमूल के बैनर के साथ कुछ प्रति लेकर प्रत्येक पंडाल में अपनी उपस्थिति दर्ज करायेंगे। लोगों से मिलेंगे, बात करेंगे और उनका पता-फोन नम्बर नोट करके दूसरा संस्करण आने पर पाठक के घर पर छिन्नमूल पहुंचाएंगे। छिन्नमूल को पाठक हाथों-हाथ ले रहे हैं। धनबाद के वरिष्ठ पत्रकार, संपादक और साहित्यकार छिन्नमूल का बांग्ला में अनुवाद कर रहे हैं। सम्भवतः मार्च 2024 तक छिन्नमूल बांग्ला में भी आ जाएगी।कुछ चैप्टर और जोड़कर मैं भी अब दूसरे संस्करण की तैयारी में जुट गया हूं।कृपया सहयोग बनाए रखिए।
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