नेता जी! मिठाई खाने के लिए इतना उतावलापन क्यों?
रूपेश कुमार सिंह
सांसद अजय भट्ट का सदन में रखी गयी बात का एक वीडियो कल से वायरल हो रहा है। खूब महिमा मंडित किया जा रहा है। शायद कोई अनोखी बात कह दी हो, इस आशय से मैंने भी अपने तीस सेकेण्ड बर्बाद कर, वीडियो देख और सुन लिया। ऐसा नहीं कि मैं बहुत बिजी रहता हूं और मेरे पास समय की कोई कमी हो। जब से रोजमर्रे की पत्रकारिता छोड़ी है, तब से समय अपना है, लेकिन फिर भी किसी घटिया, झूठे और मक्कार नेता के लिए थोड़ा सा भी समय देना मुझे बहुत अखरता है।
(संसद में अजय भट्ट की बात यहाँ क्लिक कर सुनें)
राजनीति की मजबूरी है जनता को उलझाना
खैर! वीडियो में कोई ऐसी बात नहीं थी, जिसके लिए स्थानीय भाजपा नेता आनन-फानन में मिठाई लेकर सड़क पर उतर आये। नेता जी! आखिर मिठाई खाने और खिलाने के लिए इतना उतावलापन क्यों? अभी दिल्ली बहुत दूर है। यह मत भूलो कि इतिहास में कई बार आप अति उत्साह में मिठाई खा भी चुके हो और आतिशबाजी भी कर चुके हो। लेकिन आज तक रिजल्ट कुछ भी नहीं निकला। नतीजा वही ढ़ाक के तीन पात। बीजेपी के स्थानीय नेताओं में बहुत छटपटाहट रहती है। कभी वो महान हस्ती के चित्र के नीचे जूते रखकर फोटो चेप देते हैं, तो कभी सदन में रखी गयी मामूली सी बात पर मिठाई लेकर सड़क पर उतर आते हैं। कोई नहीं, अपने राजनीतिक आकाओं को भी तो खुश करना होता है, नम्बर जो बढ़ाने होते हैं। राजनीति की यह मजबूरी भी है और जनता को उलझाने के लिए जरूरत भी। आपका अपना उल्लू तो सीधा हो जायेगा नेता जी, लेकिन जनता का भला कैसे होगा? बिना मेहनत के तो भीख भी नहीं मिलती, तो जनता का हक इतनी आसानी से कैसे मिल जायेगा? बंगाली समाज को छलावे से बाहर आना होगा… संघर्ष ही जीत का रास्ता हो सकता है, वरना राजनीतिक दल तो दशकों से बंगाली समाज को बरगला ही रहे हैं।
70 फीसदी बंगाली समाज के लोगों की संख्या है झूटी
वैसे अजय भट्ट ने अब तक सदन में दो बार अपना मुंह खोला है और दोनों ही बार तर्क और तथ्यहीन, बेतुकी बात कही है। जो छलावा कांग्रेस और एन डी तिवारी ने बंगाली समाज के साथ किया, वही आज भाजपा और अजय भट्ट कर रहे हैं। आपने कहा कि जनपद ऊधम सिंह नगर में 70 फीसदी बंगाली समाज के लोगों की संख्या है, यह तथ्य बिल्कुल गलत है। दस से बारह फीसद मतदाता बंगाली समाज के जिले में हैं। आप एक जन प्रतिनिधि हैं, तो आपकी जानकारी बिल्कुल दुरुस्त होनी चाहिए। स्थायी निवास प्रमाण पत्र और अन्य प्रमाण पत्र बनाने और संशोधन का काम राज्य सरकार का है, आपको कहां क्या मुद्दा उठाना चाहिए, यह सोचना चाहिए था। बंगाली समाज के प्रमाण पत्रों के सरलीकरण और संशोधन का काम राज्य सरकार ने करना है, यह केन्द्र सरकार का काम नहीं है। आपने राज्य की विधानसभा में रहते यह मांग पूरी क्यों नहीं की ? आपने बंगाली और राय सिखों को अनुसूचित जाति का दर्जा देने के लिए सदन में सिर्फ सवाल उठाया है, जबकि आपके पास पावर है, आप अपने स्तर से निजी विधेयक सरकार को दे सकते थे, क्यों नहीं दिया? आपका भाषण सदन की रोजमर्रे की कार्यवाही में दर्ज तो हो गया, लेकिन सरकार ने उस पर क्या जवाब दिया, बताइए?
एन डी तिवारी ने भी किया था गुमराह
हकीकत यह है कि लम्बे समय तक कांग्रेस और एन डी तिवारी ने बंगाली समाज को गुमराह किया। बंगाली समाज के लोगों को वोट बैंक के तौर पर इस्तेमाल किया। 1988 में मुख्यमंत्री रहते तिवारी ने मजबूरी बस बंगाली छात्रों को अनुसूचित जाति के तहत मिलने वाली छात्रवृति की व्यवस्था की। दशकों तक बंगाली समाज कांग्रेस को वोट करता रहा और तिवारी चुनाव जीतते रहे। सवाल उठता है कि जब छात्र रहते बंगाली बच्चा अनुसूचित जाति की सुविधा का लाभ ले सकता है तो रोजगार व अन्य जगह क्यों नहीं? एन डी तिवारी की यह बड़ी तिगड़म थी। जैसे भट्ट जी ने कल सदन में सवाल उठाया, उसी तरह से 1993-94 में बलराज पासी ने उठाया था। उसका हवाला देकर भाजपा ने बंगाली समाज में घुसपैठ की और अपनी स्थिति मजबूत की।
अटल बिहारी वाजपेयी ने भी दिया था झूठा आश्वासन
अटल बिहारी बाजपेयी ने तो 90 दिन में बंगालियों को अनुसचित जाति का दर्जा देने का झूठा आश्वासन दिया। इसके बाद कथित बंगाली एकता के चलते दस साल बसपा ने बंगाली समाज पर राज किया। बाद में बसपा की सुप्रिमो मायावती ने संसद में तीखा विरोध किया कि बंगाली सहित 28 जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल नहीं करना चाहिए। अब पिछले दस साल से जनपद के बंगाली समाज पर भाजपा का कब्जा है। जनपद में भाजपा के विधायकों की भरमार है, सांसद भाजपा का है, राज्य सरकार भाजपा की है, केन्द्र सरकार में भी भाजपा है, और तो और राज्यसभा में भी अब भाजपा बहुमत की ओर है। अब सिर्फ टामा देने से काम नहीं चलेगा। भाजपा के मित्रों, नेताओं कम से कम अब तो बंगाली समाज को अनुसूचित जाति का दर्जा दिलवा दो……मरने के बाद ही सही अटल जी की बात तो सच करा दो….
बंगाली समाज की मांग बहुत जायज है, उन्हें उनका हक मिलना ही चाहिए। जिस दिन बंगाली समाज को अनुसूचित जाति का दर्जा मिल जायेगा, उस दिन मैं स्वयं भाजपा के बड़े और स्थानीय नेताओं को मिठाई खिलाने उनके घर तक जाऊंगा, लेकिन उससे पहले मिठाई खाने की तुम्हारी ओछी हरकत की मैं निंदा करता हूं।
रूपेश कुमार सिंहस्वतंत्र पत्रकार 9412946162