‘झूठ’

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झूठ!चल रहा हैबढ़ रहा हैफल-फूल रहा हैसत्ता के गलियारे सेगाँव-देहात की पगडंडी तकछुटपन में सुना था,ठीक नहीं है झूठ बोलनागलत है झूठ को सही साबित करनासृष्टि हो जाएगी नष्टकोरोना जैसी महामारी सेईश्वर के प्रकोप सेअल्लाह के कहर सेढह जाएगी अथाहमेहनत और बलिदान सेमानव द्वारा तैयार की गईखूबसूरत, रंग-बिरंगी दुनियायह सब झूठ हैबकवास हैअंधविश्वास है,लेकिन तैर रहा हैहमारी सांसों में/औरबचने को कर रहे हैं हमपाखंड दुनिया भर काहिन्दू मिट जायेंगेहिन्दुस्तान से/औरमुसलमान छा जायेंगेइस जहान मेंमिट जाएगी लोकतंत्र की हस्तीशरीयत कानून से चलेगी इंसान की बस्तीसरासर झूठ हैफिर क्यों बोला जा रहा है झूठ?सफेद, कोरा झूठ ?क्यों पढ़े जा रहे हैंझूठ के क़सीदे?क्यों गढ़े जा रहे हैंझूठ के नये-नये सिद्धांत?झूठ और प्रपंच से कायम रह सकेतुम्हारा साम्राज्य?तुम्हारी कुर्सी?तुम्हारी हस्ती?इसलिए हांक रहे हो तुमझूठ से पूरी दुनिया को?मिट जायेगातुम्हारा झूठएक दिन, देखते रहनानयी पीढ़ी के बच्चेनहीं फंसेंगे तुम्हारेझूठ मेंप्रपंच मेंषड़यंत्र मेंगलत है नयी पीढ़ी से झूठ बोलनाउन्हें यह बताना कि ईश्वर है मंदिर मेंअल्लाह है मस्जिद मेंईशू है चर्च/गिरजाघर मेंवाहे गुरू है गुरुद्वारे मेंऔर इस दुनिया मेंसब कुछ ठीक-ठाक हैपूर्व नियोजित हैभगवान की मर्जी के अनुरूपनयी पीढ़ी जानती है यह सत्यकि मानव सभ्यता केआगे बढ़ने में मुश्किलें थीं बेहिसाब/औरआज भी कठिनाईयाँ हैं असंख्यनयी पीढ़ीआने वाले कल को ही नहीं ताक रही हैझाँक रही है आज में भीकि क्या चल रहा है वर्तमान में?अतीत से सीख करवर्तमान सजग औरभविष्य सुरक्षित रहता हैयह सत्य भी जानती है नयी पीढ़ीअस्तित्व कायम रहेइंसानियत काइस दौर-ए-जहान मेंआ रही बाधाकठिनाई और पीड़ाके मुकाबले का सच भरोक्योंकि दुनिया झूठ पर नहींसच पर टिकी हैइतिहास में हमारी पीढ़ी ने देखा हैझूठ पर टिके साम्राज्यढह गये ताश के पत्तों की तरहझूठ फैलाकर सत्तासीन हुए धूर्तों•••तुम भी बह जाओगेजल्द हीनयी पीढ़ी कीसूझ-बूझ,प्रगतिशील,वैज्ञानिकसमझ के सैलाब में ।

-रूपेश कुमार सिंहसमाजोत्थान संस्थानदिनेशपुर, ऊधम सिंह नगरउत्तराखंड 2631609412946162

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