इस्लामिक संगठन ने जारी किया नक्शा, भारत के इन राज्यों को मिलकर बनाया “बांग्लास्तान”

Share this post on:

हिफाजत-ए-इस्लाम, यानी इस्लाम के रक्षक। ये बांग्लादेश के सबसे बड़े इस्लामिक संगठन का नाम है। 2010 में बना ये संगठन जल्दी ही धर्म की प्रेशर पॉलिटिक्स का सेंटर पॉइंट बन गया। रब्बानी इसके प्रमुख हैं। जिन्होंने दावा किया है कि हसीना का तख्ता हिफाजत ने ही पलट दिया। छात्र आंदोलन भी उसका है।

फतवा जारी एक-एक लड़की पहनें हिजाब

रब्बानी ने फतवा जारी किया कि एक-एक लड़की हिजाब पहनें। इस तरह बांग्लादेश में हालात नियंत्रण में हैं। यूनुस ने कहा और मोदी जी मान गए। बांग्लादेश के जमात-ए-इस्लामी ने इस्लामिक बांग्लास्तान बनाने की साजिश रची है. इसमें पूरा बांग्लादेश, पश्चिम बंगाल, झारखंड का एक बड़ा हिस्सा, बिहार में किशनगंज, कटिहार, नेपाल में झापा, म्यांमार में रखाइन और अराकान क्षेत्र, अंडमान के कुछ हिस्से और पूर्वोत्तर भारत में असम, त्रिपुरा, मेघालय, मिजोरम और मणिपुर के कुछ हिस्से शामिल हैं।

पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत को तोड़कर

बांग्लादेश में हिफाजत,जमायत और राजकरवाहिनी ने इस्लामी बांग्लास्तान पूरे पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत को तोड़कर बनाने की योजना के तहत हसीना का तख्ता पलट दिया। लाल किले की प्राचीर से भाषण के अलावा भारत की एकता और अखंडता के लिए भारत सरकार ने क्या किया? बांग्ला दैनिक वर्तमान ने कोलकाता से बांग्लादेश के जमात-ए-इस्लामी के प्लान के बारे में रिपोर्ट प्रकाशित की है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि उन्होंने इस्लामिक बांग्लास्तान का नया नक्शा जारी किया है।

कट्टरवादी संगठन काफी ज्यादा खुश

प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया है कि इस्लामिक बांग्लास्तान में पूरा पश्चिम बंगाल, झारखंड के कुछ हिस्से, उत्तरी बिहार, नेपाल के कुछ हिस्से, पूर्वोत्तर भारत और म्यांमार के कुछ हिस्से शामिल हैं। बांग्लादेश में शेख हसीना के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद से दो कट्टरवादी संगठन काफी ज्यादा खुश हैं। इसमें एक जमात-ए-इस्लामी है और दूसरा हिफाजत-ए-इस्लाम बांग्लादेश। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इन दिनों ये दोनों संगठन नया बांग्लिस्तान बनाने का प्लान तैयार कर रहे हैं।

शरिया कानून लागू करना

रिपोर्ट्स के मुताबिक, खुफिया एजेंसियों को इस संबंध में इनपुट भी मिले हैं। दोनों कट्टरवादी संगठनों की चाहत बांग्लास्तान बनाकर वहां शरिया कानून लागू करना है। इस दावे को इसलिए भी बल मिल रहा है, क्योंकि बांग्‍लादेश की अंतरिम सरकार में धार्मिक मामलों के मंत्री की जिम्मेदारी अबुल फैयाज खालिद हुसैन को मिली है. खालिद हुसैन की पहचान एक कट्टरवादी मौलाना के तौर पर होती है. अब वह इस एजेंडे को आगे बढ़ा रहा है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चिंता जताई

इधर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लालकिले की प्राचीर से देश को संबोधित करते हुए बांग्लादेश के हालात और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चिंता जताई, तो अगले ही दिन बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस ने उन्हें फोन पर बताया कि वहां हालात नियंत्रण में हैं और ही हिंदुओं समेत सभी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा का भरोसा भी दिया। उन्होंने दावा किया कि हिंदुओं पर हमले की खबरें अतिरंजित हैं।

भारत को बांग्लादेश के मामले में दखल न देने की चेतावनी

इससे पहले इसी अंतरिम सरकार के एक सदस्य ने भारत को बांग्लादेश के मामले में दखल न देने की चेतावनी दी थी।खुद यूनुस ने धमकी दी थी कि बांग्लादेश को अस्थिर किया गया तो पश्चिम बंगाल,असम और पूर्वोत्तर पर भी इसका असर होगा। बांग्लादेश की नई सरकार ने भारत को आंखें दिखाई,लेकिन इस पर भारत सरकार की कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई। अमूमन सभी देश ऐसे मामले में कड़े कदम उठाते हैं।

पदस्थ हसीना प्रधानमंत्री भारत में

तख्ता पलट के बाद से अपदस्थ हसीना प्रधानमंत्री भारत में हैं। हिंदुओं पर लगातार हमले तेज होते रहे, अंतरिम सरकार बनने के बाद भी भारत सरकार का उससे कोई संवाद नहीं हुआ। चिंता बांग्लादेश सरकार से जताने के बजाय लालकिले की प्राचीर से जताई गई।

यही है भारत सरकार की राजनयिक पहल?

यूनुस और मोदीजी के संवाद के मध्य बांग्लादेश में हिफाजत ए इस्लाम के नेता रब्बानी ने खुलेआम ऐलान कर दिया की उनकी पार्टी बांग्लादेश में इस्लामी निजाम लाकर रहेगी। उन्होंने बकायदा सरकार को फतवा जारी करते हुए कहा कि सरकार बांग्लादेश में एक एक मूर्ति तोड़ दें। इसके बावजूद हिंदू सुरक्षित रहेंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *